भारत में जब से कोरोना वायरस का संकट शुरू हुआ तब से पूरी सरकार इस काम में लगी है कैसे लोगों को कर्ज लेने के लिए प्रेरित किया जाए। अपनी तरफ से किसी तरह की मदद देने के लिए सरकार लोगों को कर्ज लेने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए हर दिन कर्ज की नई स्कीम लांच की जा रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोई पांच दिन तक प्रेस कांफ्रेंस करके करीब 21 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की, जो असल में लोन मेला ही था। पर इसका कोई खास असर नहीं हुआ। भारतीय रिजर्व बैंक ने कोरोना संकट की वजह से लोगों को कर्ज की किस्तें चुकाने से कथित तौर पर छूट दी। उनसे कहा गया कि वे कर्ज की किस्तें नहीं भरेंगे तो उनका क्रेडिट स्कोर प्रभावित नहीं होगा। क्रेडिट स्कोर प्रभावित नहीं होने का मतलब ये है कि उनकी कर्ज लेने की क्षमता कम नहीं होगी, वे आगे और कर्ज ले सकेंगे। पर लोगों को पता था कि एक भी किस्त नहीं भरी तो भले क्रेडिट स्कोर नहीं प्रभावित हो पर उस एक किस्त के बदले कई किस्तें ज्यादा भरनी होंगी। इसलिए ज्यादातर लोगों ने सरकार की इस मोराटोरियम योजना का इस्तेमाल नहीं किया। जैसे तैसे लोगों ने कर्ज की किस्तें भरीं।
सरकार के इतना भारी लोन मेला लगाने के बावजूद कर्ज का उठाव नहीं हो रहा है। छोटी व मझोली कंपनियों का सेक्टर यानी एमएसएमई में दस करोड़ रोजगार जाने की स्थिति है क्योंकि कंपनियां कर्ज लेकर उसके जाल में फंसने की बजाय काम बंद करना बेहतर समझ रही हैं। तभी अब सरकार कर्ज देने की एक नई योजना लेकर आई है। रिजर्व बैंक ने ऐलान किया है कि अब लोगों को सोने के आभूषणों पर ज्यादा कर्ज मिल सकेगा। लोगों से कहा जा रहा है कि वे घर के जेवर गिरवी रख कर 75 फीसदी की बजाय 90 फीसदी तक लोन लें और अपना काम चलाएं। यह आंकड़ा भी आ गया है कि कोरोना संकट के काल में लोगों ने जरूरी चीजें खरीदने के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा सोने के जेवर गिरवी रखे।

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