जयपुर। पुलिस मुख्यालय की पुलिसकर्मियों के आम जनता से दुर्व्यवहार, भ्रष्टाचार और अन्य दुराचरण की शिकायतों पर जांच ढीली पड़ रही है। इसका कारण पीएचक्यू की विजिलेंस ब्रांच में पदों की कमी होना है।
हालत यह हैं कि विजिलेंस ब्रांच में पांच गुना काम बढ़ गया, लेकिन 12 साल बाद भी नए पद नहीं बढ़ पाए। अब एक बार फिर नए पद सृजित करने का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास विचाराधीन है।
राजस्थान पुलिस में पुलिसकर्मियों के विभिन्न प्रकार के दुराचरण, आमजन से दुर्व्यवहार, मुकदमा दर्ज नहीं करने तथा भ्रष्टाचार पर कंट्रोल के लिए 16 अक्टूबर 1970 को विजिलेंस ब्रांच का गठन किया गया था। ब्रांच में निदेशक सतर्कता का पद भी सृजित किया गया था। वर्ष 1999 में इस पद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर का अधिकारी लगाया गया, जो अभी तक कार्य कर रहे हैं।
मुख्य बिंदु
- विजिलेंस ब्रांच में वर्ष 2008 से पूर्व 27 पद स्वीकृत किए गए।
- इन पदों में आज तक कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई है।
- अभी एक एएसपी, एक डीएसपी, 8 सीआई, एक एसआई, कांस्टेबल, एक निजी सहायक, एक-एक अतिरिक्त व सहायक प्रशासनिक अधिकारी के पद हैं।
- वर्ष 2007 में विजिलेंस शाखा में 441 परिवादी मिले, जबकि वर्ष 2019 में 2450 परिवाद मिले। 2019 तक 97 प्राथमिक जांच एवं 91 में विभागीय जांच प्रस्ताव दिए गए।
- गंभीर अपराध घटने की शिकायत मिलने पर प्राथमिक जांच एवं गोपनीय जांच विजिलेंस ही करती है।
- सामान्य ब्रांच भी विजिलेंस से क्लीयरेंस लेती है, वहीं स्टेट एलोकेशन मिटिंग, विधानसभा-लोकसभा कार्यवाही और अन्य विविध कार्य विजिलेंस ब्रांच करती है।
- विजिलेंस शाखा के कार्यों की प्रकृति एवं गंभीरता को देखते हुए पदों के सृजन को जायज बताया गया है।

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