भारत सरकार ने आरोग्य सेतु एप्प को कोरोना वायरस से लड़ने के लिए रामबाण नुस्खे के तौर पर प्रचारित किया था। बड़े अभिनेताओं ने इसके लिए विज्ञापन किया। कई जगह इसे अनिवार्य करके जबरदस्ती लोगों से डाउनलोड कराया गया। हालांकि यह अलग बात है कि इसका कोई फायदा होने की खबर अभी तक नहीं आई है। सरकार की ओर से भी किसी प्रेस कांफ्रेंस में यह दावा नहीं किया जाता है कि आरोग्य सेतु एप्प ने कितने लोगों को संक्रमित होने से बचाया। आखिर बड़े सितारों से लेकर केंद्र सरकार के बड़े बड़े केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यों के विधायक-मंत्री, सांसद आदि संक्रमित हुए हैं। सरकारी विभागों में तो कई जगह अनिवार्य रूप से इसे डाउनलोड कराया गया था फिर भी केंद्रीय मंत्री, राज्यों के मंत्री और मुख्यमंत्री कैसे संक्रमित हो गए? क्या उनके कर्मचारियों और अधिकारियों के फोन में यह एप्प डाउनलोड नहीं हुआ था? अगर हुआ था तो जब ये लोग किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए तो इस एप्प ने किसी को आगाह क्यों नहीं किया? इन सवालों का कोई जवाब नहीं मिलना है, बस यह आंकड़ा पेश कर दिया जाएगा कि 15 करोड़ लोगों ने इसे डाउनलोड किया है और यह दुनिया में सबसे ज्यादा डाउनलोड होने वाले एप्प है।
अब केंद्र सरकार ने इसके एक नए फीचर का प्रचार शुरू किया है। सरकार को भी पता है कि कोरोना संक्रमितों का पता लगाने के मकसद से जिस कांटैक्ट ट्रेसिंग का काम इस एप्प को करना था वह इससे नहीं हुआ है। सो, अब ‘ओपन एपीआई सर्विस’ नाम के नए फीचर का प्रचार किया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि इस फीचर की मदद से कंपनियां अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य की जानकारी रख सकती हैं। कहा गया है कि जिस कंपनी में 50 या उससे ज्यादा कर्मचारी हैं वह अपने यहां इस फीचर का इस्तेमाल कर सकेगा।
इसका मतलब है कि 50 से ज्यादा कर्मचारियों वाली कंपनी में हर कर्मचारी के फोन में आरोग्य सेतु एप्प डाउनलोड कराया जाएगा, जिसमें ‘ओपन एपीआई सर्विस’ का फीचर होगा। इसकी मदद से कंपनियां अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर नजर रख सकेंगी। कहने की जरूरत नहीं है कि जिस एप्प के एक फीचर से कर्मचारी के स्वास्थ्य पर नजर ऱखी जाएगी उस एप्प से कर्मचारी पर पूरी तरह से भी नजर रखी जा सकती है। कहा जा रहा है कि यह फीचर कर्मचारी की सहमति से एक्टिव किया जाएगा। पर यह सिर्फ कहने की बात है। निजी कंपनियों के लिए इसे अनिवार्य कराना एक मिनट का काम होगा। कोई भी कर्मचारी इससे इनकार नहीं कर पाएगा। कंपनियां कोरोना या किसी दूसरी बीमारी के खतरे के बहाने इस एप्प के जरिए कर्मचारियों पर निगरानी रखना शुरू कर सकती हैं।
सरकार कह रही है कि कर्मचारी की सहमति से इसका उपयोग होगा और साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि कंपनी सिर्फ आरोग्य सेतु एप्प के यूजर का नाम और उसका स्टैट्स ही देख पाएंगे। इससे यूजर का दूसरा गोपनीय डाटा लीक नहीं हो सकेगा। पर यह सब कहने की बातें हैं। एक बार डाटा डिजिटल हो जाने के बाद उसकी सुरक्षा की गारंटी कोई नहीं दे सकता है और उसी तरह स्वास्थ्य पर निगरानी रखना शुरू करने के बाद बाकी गतिविधियों की निगरानी नहीं किए जाने की गारंटी भी कोई नहीं कर सकता है। इसलिए कोरोना के बाद की दुनिया के नए भारत में रहने के लिए लोगों को तैयार हो जाना चाहिए।
इसका कारण यह है कि निगरानी के लिए सिर्फ आरोग्य सेतु एप्प या उसका ‘ओपन एपीआई सर्विस’ फीचर ही नहीं है, बल्कि स्किन बॉडी सेंसर टैटू भी आने वाला है। इसके बारे में दो दिन पहले ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने खुद ट्विट किया था। जिस तरह से बच्चे अपने शरीर पर तरह-तरह के कार्टून कैरेक्टर के टैटू लगाते हैं उसी तरह से यह लगाने या पहनने वाला टैटू है, जिसमें सेंसर लगा होगा। यह देखने में सुंदर भी लगेगा, जिससे लोगों को इसे पहनने में कोई परेशानी नहीं होगी और इसकी मदद से उनका हेल्थ डाटा आसानी से हासिल किया जा सकेगा। इसके लिए शरीर का तापमान, सांस लेने की दर, नाड़ी की गति आदि का आसानी से पता चल जाएगा। स्मार्ट वॉच या स्मार्ट फोन के हेल्थ एप्प जैसे इन दिनों लोगों की सेहत की सारी जानकारी जुटा रहे हैं उसी तरह यह टैटू भी काम करेगा। फर्क यह है कि इसकी कीमत कम होगी। पर इसकी मदद से लोगों की सारी स्वास्थ्य जानकारी एक निर्धारित सर्वर में पहुंचती रहेगी।
यह आम लोगों की निगरानी का एक नया स्तर है, जिसे कोराना वायरस की महामारी के बहाने लागू किया जा रहा है। इस खेल में दुनिया की बड़ी सारी कंपनियां और कई देश भी लगे हुए हैं। शुरुआत में इसे हेल्थ से जोड़ा जा रहा है पर तय मानें कि आगे चल कर यह लोगों की हेल्थ आईडी कार्ड की तरह काम करेगा और सर्विलांस के काम में मददगार साबित होगा।
ध्यान रहे भारत की सरकार पहले ही नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत हर व्यक्ति का हेल्थआईडी कार्ड बनाने की घोषणा कर चुकी है। हेल्थआईडी कार्ड की एक सीमा है, उसके नंबर के जरिए लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी या दूसरी जानकारी हासिल की जा सकती है। पर उसमें वहीं जानकारी होगी, जो कोई व्यक्ति स्वेच्छा से देगा। पर ई टैटू की टेक्नोलॉजी के जरिए रियल टाइम में किसी व्यक्ति की सेहत का डाटा लिया जा सकता है। जिसे अंडर द स्किन सर्विलांस बोलते हैं वह इसके जरिए संभव है। धीरे धीरे भारत और दुनिया की सरकारें इस दिशा में बढ़ रही हैं।

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