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हे भारत माता, कितनी अभागी हैं आप! कैसी शापित हैं आप, जो इतिहास में, मध्यकाल में लूट जाती रहीं तो 21वीं सदी में भी लूटी जा रही हैं! तब तरीका अलग था, तलवार के नादिर शाह तब थे जबकि अब बिजनेस है, क्रोनी पूंजीवाद है, चीन- अमेरिका के धूर्त व्यपारियों और उनके अंबानी-अंदानी जैसे एजेंटों का मायाजाल है, जिससे भारत मां के लालों को इतना भी नहीं दिखता, सोचने की इतनी भी बुद्धि नहीं है कि कोरोना काल में भारत मां कंगली हो रही हैं, सरकार कंगली है लेकिन अंबानी, अदानी यदि खरबपति हो रहे हैं तो ऐसा क्या बेच कर हो रहे होंगे? ऐसा कैसे कि भारत के लाल अपनी मातृभूमि के साथ चीन की छेड़छाड़ देख रहे हैं लेकिन उस चीन के साथ अंबानियों, अदानियों का धंधा क्योंकि है और खरबपति बनते जाने की भूख है तो धंधा सर्वापरी न कि भारत मां की आन के लिए चीन से लड़ाई के भामाशाह बन जाने का ऐलान।
उफ! भारत मां, मैं कैसे आपकी चिंता करूं? आपको अपनी आजादी की भी चिंता नहीं! चीन ने कितनी तरह की बेड़ियों से आपके हाथ-पांव जकड़े हैं। आपने दिन-रात आपका कीर्तन करने वाले उन हिंदुओं, उस राष्ट्रीय स्वंयसेवक को तनिक भी यह बुद्धि क्यों नहीं दी जो बूझ सके कि छह सालों में भारत कितना आर्थिक गुलाम हुआ? चीन और अमेरिका ने अंबानी, अदानी जैसे कथित देशभक्तों को एजेंट बना कर भारत को डिजिटल गुलाम बनाने का कैसा तानाबाना बना डाला है? कैसे ये चंद चेहरे भारत की सरकार, भारत की अदालतों, भारत के मीडिया और हिंदुओं की भोली बुद्धि को खरीद कर पूरी भारत माता को गुलाम बना डाल रहे हैं!
हे भारत माता, आप कैसे समझदार नहीं हैं? आपने अपने को नादिर शाह से लुटते देखा है। ईस्ट इंडिया कंपनी-ब्रिटेन से लुटने का अनुभव लिया हुआ है। बावजूद इसके 138 करोड़ लोगों की बुद्धि में कुछ भी स्मरण नहीं है। हां, तीन सौ साल पहले अंग्रेज धंधा करने ईस्ट इंडिया कंपनी के रूप में ही आए थे। तब भी भारत के तत्कालीन अंबानी, अदानी याकि हिंदू सेठों यानी कोलकाता के जगत सेठ, बनारस के गोकुल दास और पटना, इलाहाबाद के सूद पर पैसा लेने देने वाले सेठों को अग्रेजों ने एजेंट बना कर, उन्हें मुनाफे का लालच दे कर, उनके जरिए तब के नासमझ राजे-रजवाड़ों को नजराना दे कर अपना जाल फैलाया था। अंत नतीजा था लंदन में सिर्फ 38 कर्मचारियों और पूरी दुनिया में मुश्किल से दो हजार लोगों की ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में भाड़े की दो लाख लोगों की सेना बना स्वदेशी, आजादी, स्वतंत्रता की तमाम मशालों, तमाम हिंदू रजवाड़ों, मराठा से ले कर सिक्ख राज सबको गुलाम बना डाला था।
हे भारत माता, 1947 में आपके हाथ में आए आजादी के तिरंगे झंडे पर क्यों अंबानियों-अदानियों का एकाधिकार बनने दे रही हैं? मुनाफे के लिए, धंधे के लिए जब व्यपारियों द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी, उससे पहले मुगलों को भारत बेचने के जब प्रामाणिक इतिहास हैं और इनके हाथों गुजरात में सोमनाथ मंदिर के भी बार-बार लूटने का इतिहास है तो चीन और अमेरिका की मायावी ताकत में ये अंबानी-अदानी क्या आपको बचा सकेंगें? क्या ये चीन पर आपको फैसला लेने दे रहे हैं? पिछले छह सालों में डिजिटल बनाए जाने के नाम पर कितनी लूटी हैं आप! पूरा भारत आज अमेरिकी कंपनियों के व्हाट्सअप, फेसबुक, गूगल आदि का गुलाम है। भारत की हर जरूरत, हर धंधा चीन पर आश्रित है। भारत के लोगों की ऐसी परनिर्भरता तो अंग्रेजों, मुगलों के वक्त में भी नहीं थी, जो अब सीधे भारत के लोगों को मुफ्त-सस्ते टुकड़े फेंक, उन्हें खरीद कर उससे गुलाम बनाने के बिजनेस प्लान बने है।
हां, भारत माता आपके भोले नरेंद्र मोदी ने अपनी सत्ता, अपनी आरती उतरवाने में डिजिटल माध्यम का तानाबाना वह बनाया, जिसके आइडिया में ध्यान ही नहीं रखा कि भारत माता के हिंदुओं का आजादी चाहिए। कंपीटिशन चाहिए। क्वालिटी चाहिए। खुली बुदधि की खुली कनेक्टिविटी चाहिए। नहीं सोचा कि भारत के 138 करोड़ लोगों के मालिक चंद अंबानी-अदानी हुए तो बीस-तीस साल बाद भारत दुनिया का वह आधुनिक गुलाम देश होगा, जिसके हर गुलाम का डाटा विदेशी कंपनी के सर्वरों में कैद होगा और अंबानी-अदानी उसे बेचते हुए मुनाफा कमाते मिलिंगे।
हां, भारत माता मोदीजी की मेहरबानी से मुकेश अंबानी आज दुनिया के नंबर चार खरबपति हैं और दस साल बाद नंबर एक होंगे क्योंकि तीन सालों में चालीस करोड़ भारतीयों को सस्ता फोन- कनेक्शन बांट कर उन्होंने अपने जैसे ग्राहक-गुलाम बनाए हैं व इस संख्या की ताकत पर कोरोना काल के 58 दिनों में अमेरिकी-विदेशी कंपनियों से यदि एक लाख साठ हजार करोड़ रुपए जुटा लिए हैं तो आगे जब भारत के 100 करोड़ लोग या सारे 138 करोड़ लोग मुकेश अंबानी के जियो से जीयेंगी तो फेसबुक, गूगल आदि मुकेश अंबानी को न केवल दुनिया का नंबर एक खरबपति बना देंगे, बल्कि अपने तमाम डिजिटल-ऑनलाइन रूपों में भारत माता को ऐसा गुलाम बनाएंगे, उन्हें इतनी तरह की बेड़ियों में जकड़ेंगे कि मानवता के पूरे इतिहास में वैसा पहले कभी नहीं हुआ होगा।
हे, भारत माता, पिछले तीन सालों में नरेंद्र मोदी-मुकेश अंबानी ने आपको, आपके लालों का जीवन जियो के सस्ते मोहपाश में जैसे बांधा है उसकी मोनोपॉली 138 करोड़ लोगों की गुलामी की पहली बेड़ी है। क्या यह महज संयोग है जो तीन साल, सिर्फ तीन साल में मुकेश अंबानी ने फ्री-सस्तेपन की रस्सी में चालीस करोड़ लोगों को बांध उन्हें फेसबुक, गूगल आदि विदेशी कंपनियों के आगे भविष्य में गुलाम बकरों की तरह खाने के लिए रख दिया?
हे भारत माता आपको इन तीन सालों से राष्ट्र के खजाने में कितनी कमाई हुई? यदि नहीं हुई और उसकी बजाय यदि मुकेश अंबानी तीन साल में दुनिया के दसवें से चौथे नंबर के खरबपति हुए तो क्या वह लूट नहीं? तीन साल पहले मुकेश अंबानी ने जियो लांच किया तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक पेज के आशीर्वाद विज्ञापन के साथ था। फिर बैंकों से कर्ज, पैसे के इधर से उधर निवेश में लोगों को सस्ता-मुफ्त का लालच। लोग जियो के दास हुए और करोड़ों की भीड़ का तीन साल में ग्राहक आंकड़ा बना तो मुकेश अंबानी का एक दिन ख्याल बना अब विदेशियों के आगे प्रजेंटेशन हो, उन्हें बताओ कि आओ पैसा लगाओ और भारत के 138 करोड़ लोगों पर एकाधिकार के साथ राज करने का मौका पाओ, मुनाफा कमाओ।
हे भारत माता अंबानी ने भारत के लोगों, भारत के राजा नरेंद्र मोदी और भारत को बेच कर, उन्हें अपनी जेब का बाशिंदा बता कर ही तो फेसबुक के जुकरबर्ग और गूगल के सुंदर पिचाई को ललचाया। विदेशी जानते ही हैं कि नरेंद्र मोदी के कंधे पर मुकेश अंबानी हाथ रखे होते हैं और फेसबुक के दफ्तर में जब नरेंद्र मोदी के आंसू आते हैं तो भाव विह्वल जुकरबर्ग मुकेश अंबानी को भी याद करने लगते हैं। आखि्र दुनिया में क्रोनी पूंजीवाद का कोई नंबर एक खरबपति है तो वह मुकेश अंबानी ही हैं। फेसबुक ने अरसे से भारत में धंधे के लिए इंटरनेट करियर बन मोनोपॉली की सोची हुई थी ट्राई ने वैसा नहीं होने दिया तो अंबानी से रास्ता अपने आप है। तभी जियो में जुकरबर्ग ने दस-बीस साल बाद 150 करोड़ लोगों का मालिक होने की दूरदृष्टि में तुरंत सीधे एकमु्श्त 43,573 करोड़ रुपया अंबानी के सपने के लिए दे दिया। फिर क्या था, जिन पर चाहा गया डोरा डाला गया, उनसे भी पैसा प्राप्त। अंत में नरेंद्र मोदी और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई में वीडियो कांफ्रेंस के बाद सुनने को मिली कि गूगल कंपनी भी कोई 33,737 करोड़ रुपए निवेश करेगी।
हे भारत माता, जियो लांच पर एक पेज के विज्ञापन से आपके राष्ट्र सेवक नरेंद्र मोदी के आशीर्वाद से लेकर प्रधानमंत्री व गूगल प्रमुख की बातचीत में एक और एक ग्यारह इतने हैं कि दुनिया हैरान है कि कैसी हैं भारत माता! बताएं भारत माता, अमेरिकी कंपनियों की ऐसी कृपा अंबानी पर क्यों हुई? दुनिया कोरोना में ठहरी हुई है, कोई फैसले नहीं ले रहा है लेकिन 58 दिनों में अंबानी ने भारत के शेयर बाजार के इतिहास का सबसे बड़ा 53 हजार करोड़ रुपए का राइट्स इश्यू बेच डाला तो जियो प्लेटफार्म के 24.70 प्रतिशत शेयर दे कर विदेशियों से 1,15,693 करोड़ रुपए का कुबेरी खजाना भी पा लिया तो क्या ईस्ट इंडिया कंपनी का इतिहास दोहराने वाला नहीं है? भारत माता क्या लगता नहीं कि फिर विदेशियों, विदेशियों के एजेंटों से इतिहास दोहरागा। क्या एकाधिकार, मोनोपॉली गुलामी नहीं होती? क्या 138 करोड़ लोगों को वापिस दर्जन भर सेठों की लूट से जीना होगा? लोगों को कितनी तरह की बेड़ियों में लाचार, बेबस और अपने आपको लुटवाने वाला बनवाना है? हे, भारत माता कुछ तो अपने कृपापात्रों को सद्बुधि दीजिए!

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