05 जून 2016 से आम लोगों की शिकायतों की सुनवाई और समाधान के लिए लागू किए गए बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम प्रभावी सिद्ध हो रहा है। कार्यालयों में छोटे-छोटे कामों को कराने के लिए लोगों को जहां महीनों चक्कर काटने पड़ते थे, वहीं अब लोगों का काम तुरत हो जा रहा है।
इस अधिनियम के द्वारा लोक शिकायत केंद्र पर जाकर अपनी समस्या का समाधान करने के लिए आम आदमी को एक बड़ा अधिकार मिल गया है। पेयजल, स्वच्छता, आवास, छात्रवृत्ति, पोशाक, शिक्षा, स्वास्थ्य, ज़मीन से जुड़े मामले, राशन, अतिक्रमण एवं अन्य कल्याणकारी कार्यक्रमों का लाभ पाने का आसान जरिया मिल गया है। समाज के अंतिम तबके के रोजमर्रा की कठिनाइयों एवं जरूरत की सेवाओं को इसमें शामिल किया गया है।
कैसे करता है काम,
इस अधिनियम की विशेषता है कि दायर की गयी शिकायत पर शिकायतकर्ता का भी पक्ष सुना जाता है। वैसे पदाधिकारी एवं जिनके द्वारा उठायी गयी समस्या या दायर की गयी शिकायत के समाधान का दायित्व है, को आमने-सामने बैठाकर सुनवाई की जाती है। इससे आम नागरिकों का सशक्तिकरण हुआ है एवं शासन में उन्हें अपनी भागीदारी का एहसास हो रहा है।
किसी भी शिकायतों की सुनवाई का पहले कोई स्वतंत्र ढांचा नहीं था। इसके निवारण की कोई गारंटी नहीं थी। इस अधिनियम के द्वारा सरकार ने आम लोगों के लिए एक मजबूत व्यवस्था कायम की है। आम लोगों की शिकायतों की सुनवाई एवं समाधान के लिए लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी नियुक्त किए गए हैं, जो इसके लिए समर्पित हों। पूरे तंत्र को इसके लिए व्यवस्थित किया गया है।
अबतक लाखों परिवादों का किया गया है निष्पादन
अभी तक 2,31,640 दायर परिवादों में 2,10,733 परिवादों का सफलता पूर्वक निष्पादन किया जा चुका है।वास्तविकता में लोगों के इस कानून के प्रति जागरुक होने से लोगों की समस्याओं के समाधान में तेजी आ गई है। इस अधिनियम के तहत दायर किए गए परिवादों एवं उसपर की गयी कार्रवाईयों का पूरा लेखा-जोखा ऑनलाइन उपलब्ध रहता है।
शिकायतकर्ता कहीं से भी उनके आवेदन पत्र पर की गयी कार्रवाई एवं पारित निर्णय की जानकारी प्राप्त कर सकता है। जिन पदाधिकारियों को शिकायतों की सुनवाई एवं समाधान करना है,अगर उनके द्वारा ऐसा नहीं किया गया तो उन गैर जवाबदेह पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई भी की जा रही है।
अबतक ऐसे ग्यारह लोक प्राधिकारों के विरूद्ध अनुशासनिक कार्रवाई प्रारंभ की गयी है, जबकि 118 लोक प्राधिकारों पर 3.81 लाख रूपये का आर्थिक दंड भी किया गया है।
मुख्यमंत्री के लोक संवाद कार्यक्रम
मुख्यमंत्री के लोक संवाद कार्यक्रम में लोक प्राधिकार की अनुपस्थिति के मामले में भी त्वरित की जाती है। प्राप्त निर्देश के आलोक में सुनवाई में अनुपस्थित रहने वाले लोक प्राधिकारों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई भी की जा रही है। सुनवाईयों को प्रभावी बनाते हुए उनकी संख्या को भी कम किया जा रहा है। इससे एक ऐसी व्यवस्था कायम की गयी है जिसका उद्देश्य आम लोगों को सहायता प्रदान करना है।
बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम
बिहार सरकार की एक अन्य महत्वाकांक्षी कार्यक्रम बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम है। इसका भी लोगों को बड़ा लाभ प्राप्त हो रहा है, जिसमें नियत समय सीमा में लोगों को जनोपयोगी सेवाएं उपलब्ध करायी जाती है।
लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम के तहत 17 करोड़ से अधिक सेवाएं अबतक प्रदान की जा चुकी हैं। दलाल एवं बिचौलियों को इस तंत्र से बाहर रखने के लिए जिला पदाधिकारियों के स्तर पर नियमित तौर पर औचक निरीक्षण एवं छापेमारी करायी जाती है।
इस अधिनियम के द्वारा लोक शिकायत केंद्र पर जाकर अपनी समस्या का समाधान करने के लिए आम आदमी को एक बड़ा अधिकार मिल गया है। पेयजल, स्वच्छता, आवास, छात्रवृत्ति, पोशाक, शिक्षा, स्वास्थ्य, ज़मीन से जुड़े मामले, राशन, अतिक्रमण एवं अन्य कल्याणकारी कार्यक्रमों का लाभ पाने का आसान जरिया मिल गया है। समाज के अंतिम तबके के रोजमर्रा की कठिनाइयों एवं जरूरत की सेवाओं को इसमें शामिल किया गया है।
कैसे करता है काम,
इस अधिनियम की विशेषता है कि दायर की गयी शिकायत पर शिकायतकर्ता का भी पक्ष सुना जाता है। वैसे पदाधिकारी एवं जिनके द्वारा उठायी गयी समस्या या दायर की गयी शिकायत के समाधान का दायित्व है, को आमने-सामने बैठाकर सुनवाई की जाती है। इससे आम नागरिकों का सशक्तिकरण हुआ है एवं शासन में उन्हें अपनी भागीदारी का एहसास हो रहा है।
किसी भी शिकायतों की सुनवाई का पहले कोई स्वतंत्र ढांचा नहीं था। इसके निवारण की कोई गारंटी नहीं थी। इस अधिनियम के द्वारा सरकार ने आम लोगों के लिए एक मजबूत व्यवस्था कायम की है। आम लोगों की शिकायतों की सुनवाई एवं समाधान के लिए लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी नियुक्त किए गए हैं, जो इसके लिए समर्पित हों। पूरे तंत्र को इसके लिए व्यवस्थित किया गया है।
अबतक लाखों परिवादों का किया गया है निष्पादन
अभी तक 2,31,640 दायर परिवादों में 2,10,733 परिवादों का सफलता पूर्वक निष्पादन किया जा चुका है।वास्तविकता में लोगों के इस कानून के प्रति जागरुक होने से लोगों की समस्याओं के समाधान में तेजी आ गई है। इस अधिनियम के तहत दायर किए गए परिवादों एवं उसपर की गयी कार्रवाईयों का पूरा लेखा-जोखा ऑनलाइन उपलब्ध रहता है।
शिकायतकर्ता कहीं से भी उनके आवेदन पत्र पर की गयी कार्रवाई एवं पारित निर्णय की जानकारी प्राप्त कर सकता है। जिन पदाधिकारियों को शिकायतों की सुनवाई एवं समाधान करना है,अगर उनके द्वारा ऐसा नहीं किया गया तो उन गैर जवाबदेह पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई भी की जा रही है।
अबतक ऐसे ग्यारह लोक प्राधिकारों के विरूद्ध अनुशासनिक कार्रवाई प्रारंभ की गयी है, जबकि 118 लोक प्राधिकारों पर 3.81 लाख रूपये का आर्थिक दंड भी किया गया है।
मुख्यमंत्री के लोक संवाद कार्यक्रम
मुख्यमंत्री के लोक संवाद कार्यक्रम में लोक प्राधिकार की अनुपस्थिति के मामले में भी त्वरित की जाती है। प्राप्त निर्देश के आलोक में सुनवाई में अनुपस्थित रहने वाले लोक प्राधिकारों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई भी की जा रही है। सुनवाईयों को प्रभावी बनाते हुए उनकी संख्या को भी कम किया जा रहा है। इससे एक ऐसी व्यवस्था कायम की गयी है जिसका उद्देश्य आम लोगों को सहायता प्रदान करना है।
बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम
बिहार सरकार की एक अन्य महत्वाकांक्षी कार्यक्रम बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम है। इसका भी लोगों को बड़ा लाभ प्राप्त हो रहा है, जिसमें नियत समय सीमा में लोगों को जनोपयोगी सेवाएं उपलब्ध करायी जाती है।
लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम के तहत 17 करोड़ से अधिक सेवाएं अबतक प्रदान की जा चुकी हैं। दलाल एवं बिचौलियों को इस तंत्र से बाहर रखने के लिए जिला पदाधिकारियों के स्तर पर नियमित तौर पर औचक निरीक्षण एवं छापेमारी करायी जाती है।

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