पटना हाईकोर्ट ने राज्य के 3 लाख 51 हजार नियोजित शिक्षकों को बड़ी राहत देते हुए समान काम के लिए समान वेतन देने की मांग वाली याचिकाओं को मंजूर कर लिया है. कोर्ट ने कहा कि नियोजित शिक्षकों को भी नियमित शिक्षकों की तरह वेतमान और अन्य सुविधाएं मिलनी चाहिए लेकिन सरकार के रुख से अभी भी यह दूर की कौड़ी दिख रही है.
समान काम के लिए समान वेतन देने के फैसले का आधार पर नियोजित शिक्षकों का वेतन दो से ढ़ाई गुना बढ़ जाएगी. एक शिक्षक का औसत वेतन प्रतिमाह 38 से 40 हजार हो जाएगा. नियोजित शिक्षकों के वेतन पर अभी राज्य सरकार को सलाना 10 हजार करोड़ खर्च करना पड़ता है. कोर्ट के आदेश के बाद 21 हजार करोड़ रुपए खर्च करने होंगे. यानि 11 हजार करोड़ का अतिरिक्ष बोझ पड़ेगा. राज्य सरकार का कुल शिक्षा बजट ही करीब 20 हजार करोड़ है जो कुल बजट का लगभग 20-22 फीसदी है.
शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा का बयान
हाईकोर्ट के फैसले काम हम सम्मान करते हैं. नियोजित शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया अलग है. इनकी नियुक्ति भी पंचायती राज संस्थाओं के अधीन संचालित नियोजन इकाइयों के माध्यम से होती है. हम माननीय पटना उच्च न्यायालय के फैसले का गंभीरतापूर्वक अध्ययन करेंगे फिर फैसला लेंगे. जरुरी लगा तो हाईकोर्ट के फैसले के खिलाप डबलबेंच या फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे.
महाधिवक्ता ललित किशोर ने ये कहा
महाधिवक्ता ललित किशोर ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति स्थानीय स्वशासी निकाय द्वारा की जाती है. सरकार इनकी नियुक्ति नहीं करती है. नियमित शिक्षकों की तरह वेतनमान देने की बाध्यता कभी थी नहीं. इसलिए समान काम के लिए समान वेतन देने का फार्मूला यहां लागू नहीं होता है.
समान काम के लिए समान वेतन देने के फैसले का आधार पर नियोजित शिक्षकों का वेतन दो से ढ़ाई गुना बढ़ जाएगी. एक शिक्षक का औसत वेतन प्रतिमाह 38 से 40 हजार हो जाएगा. नियोजित शिक्षकों के वेतन पर अभी राज्य सरकार को सलाना 10 हजार करोड़ खर्च करना पड़ता है. कोर्ट के आदेश के बाद 21 हजार करोड़ रुपए खर्च करने होंगे. यानि 11 हजार करोड़ का अतिरिक्ष बोझ पड़ेगा. राज्य सरकार का कुल शिक्षा बजट ही करीब 20 हजार करोड़ है जो कुल बजट का लगभग 20-22 फीसदी है.
शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा का बयान
हाईकोर्ट के फैसले काम हम सम्मान करते हैं. नियोजित शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया अलग है. इनकी नियुक्ति भी पंचायती राज संस्थाओं के अधीन संचालित नियोजन इकाइयों के माध्यम से होती है. हम माननीय पटना उच्च न्यायालय के फैसले का गंभीरतापूर्वक अध्ययन करेंगे फिर फैसला लेंगे. जरुरी लगा तो हाईकोर्ट के फैसले के खिलाप डबलबेंच या फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे.
महाधिवक्ता ललित किशोर ने ये कहा
महाधिवक्ता ललित किशोर ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति स्थानीय स्वशासी निकाय द्वारा की जाती है. सरकार इनकी नियुक्ति नहीं करती है. नियमित शिक्षकों की तरह वेतनमान देने की बाध्यता कभी थी नहीं. इसलिए समान काम के लिए समान वेतन देने का फार्मूला यहां लागू नहीं होता है.

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