सोमवार, 6 नवंबर 2017

गर्भाशय घोटाला में पटना हाईकोर्ट ने सरकार को दिया निर्देश

दोषियों पर क्या हुई कार्रवाई छह सप्ताह में बताएं 
पटना हाईकोर्ट ने अवैध तरीके से महिलाओं का गर्भाशय निकाल कर स्वास्थ्य बीमा की राशि हड़पने के मामले में राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह पीड़ित महिलाओं को ढाई-ढाई लाख रुपये का मुआवजा दे. साथ ही कोर्ट ने इस मामले में दोषी लोगों के  विरुद्ध  क्या-क्या कार्रवाई की गयी है, इसकी विस्तृत रिपोर्ट छह सप्ताह के अंदर कोर्ट में पेश करने को कहा है. चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और  जस्टिस डाॅ  अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने सोमवार को वेटरन फोरम फॉर ट्रांसपेरेंसी  इन पब्लिक  लाइफ की ओर से दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. 
 याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि इस मामले में  दोषी लोगों के  विरुद्ध अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. वहीं पीड़ित महिलाओं   को मानवाधिकार आयोग के आदेश के आलोक में समुचित मुआवजा भी  अब तक नहीं  दिया गया है.
 कोर्ट ने इस मामले को काफी गंभीरता  से लेते हुए  राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वे इस मामले में प्राथमिकी  दर्ज होने के बाद जांच की स्थिति, विभागीय कार्रवाई, पीड़ितों को मुआवजा  आदि से संबंधित  अद्यतन जानकारी अगली सुनवाई में कोर्ट  में प्रस्तुत करें. गौरतलब है कि राज्य के विभिन्न जिलों में स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत सैकड़ों महिलाओं का गर्भाशय फर्जी ढंग से निकाल लेने की घटना उजागर हुई थी.
क्या है मामला
 राज्य में 2012 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत  गर्भाशय ऑपरेशन घोटाला हुआ है. इसमें बड़े पैमाने पर महिलाओं व युवतियों का अवैध तरीके से गर्भाशय निकाल कर बीमा की राशि हड़प ली गयी थी. एक महिला का गर्भाशय निकालने के लिए 30 हजार रुपये बीमा की राशि  निर्धारित थी.
 इन जिलों में अधिक मामले
 सीतामढ़ी, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, सहरसा, पूर्णिया, मधेपुरा समेत 10 जिलों में सबसे अधिक गड़बड़ी हुई थी. सबसे अधिक 319 मामले समस्तीपुर जिले के हैं. कुछ जिलों में फर्जी नाम-पता पर ऑपरेशन के मामले भी सामने आये थे. इनमें  समस्तीपुर में 14, नालंदा में 11, पूर्वी चंपारण में 12, नवादा में एक, जमुई में 83 और  अरवल में दो एेसे मामले शामिल हैं.

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