सोमवार, 27 नवंबर 2017

क्यों पुलिस गौपालकों के खिलाफ पशुक्रूरता अधिनियम में मुकदमे बना लेती ? - एनसीएचआरओ

क्यों हमेशा पुलिस गौरक्षकों के हमले के बाद गौपालकों के खिलाफ पशुक्रूरता अधिनियम में मुकदमे बना लेती ?
 राज्य में भाजपा सरकार आने के बाद ही क्यों अलवर के मेवात इलाके में पुलिस चेकपोस्ट पर गौरक्षा के बोर्ड लगा दिए गए हैं ?
 आज तक पुलिस और गौरक्षकों ने कोई भी गाय कटती हुई क्यों नहीं पकड़ी..?
पुलिस आपसी मुठभेड़ बता रही, गौरक्षकों की फायरिंग से तीन में से दो लोगों को गोली लग जाती है दूसरी ओर  गौरक्षकों में से किसी एक को भी गोली क्यो नहीं लगती, जबकि पुलिस कहती है की गोली चलती गाडी से मारी गई है ?
पुलिस ने ताहिर और जावेद से एक देसी कट्टा बरमाद करना दिखाया है जबकि गोरक्षकों से अभी तक कोई भी हथियार की बरामदगी क्यो नहीं दिखाई है.
पुलिस ने गायों से भरी गाड़ी की कोई फोटो क्यों नहीं ली है ? गायों को गाड़ी से उतार लिए जाने के बाद गायों की फोटो क्यों ली गई है ?
 स्थानीय लोग कैसे इतनी जल्दी गाड़ी के पार्ट्स निकालकर ले गए ?
जयपुर । गौरक्षकों द्वारा हत्या को राजस्थान पुलिस आपराधिक गैंगवार बनाने पर काम कर रही है,ये आरोप मानवाधिकार संगठन एनसीएचआरओ ने अपने जांच दल के दौरे के बाद लगाये है। राजधानी में आयोजित पत्रकार वार्ता में मानवाधिकार संगठन एनसीएचआरओ की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अशोका कुमारी ने कहा की  पुलिस अपनी गैंगवार वाली बात को साबित करने के लिए लगातार झूठ बोल रही है। पुलिस बोल रही है की हत्या के आरोप में पकडे गई लोग गौरक्षक नहीं है बल्कि आदतन अपराधी है,लेकिन हमारे जांच दल ने पाया की पकडे गए हमलावरों का कोई पुराना आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. फिर उमर के हत्त्यारे आदतन अपराधी कैसे हो सकते है ? 
उन्होने कहा की जांच दल मानता है की पुलिस गौरक्षकों की तरफदारी करते नजर आ रही है, पुलिस ने दावा किया है कि हत्या में गौरक्षकों का हाथ नहीं है मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी अनिल बेनीवाल ने बताया कि उमर हत्याकाण्ड मामले में अब तक की गई जांच में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है, जिससे यह कहा जा सके कि इसमे गौरक्षकों का हाथ है। उनके  मुताबिक, गिरफ्तार किये गये व्यक्ति ने उमर और उसके साथियों पर हमले की बात को मान लिया है, साथ ही उन्होने लाश को ठिकाने लगाने की भी बात को कबूल कर लिया है। हालांकि पुलिस इस घटना को फिलहाल हत्या का मामला मान कर जांच कर रही है। पुलिस ने उमर के चाचा की शिकायत पर आईपीसी की धारा 302 (हत्या), धारा 147 (दंगा करने) और धारा 307 (हत्या) के तहत केस दर्ज कर लिया है।
 संगठन के राजस्थान प्रदेश कार्यसमिति सदस्य टीकम शक्यवाल ने कहा की दूसरा तथ्य जिसमे पुलिस खुद उलझती हुई नजर आती है वो है गायों की संख्या, और उनकी नस्ल ,इसको लेकर पुलिस का बयान विरोधाभास से भरा है . उन्होने कहा की जांच दल मानता है की पुलिस की मानसिकता मेव समाज  के खिलाफ है। पुलिस कहती है उस गांव में सभी चोर है। 75 से ज््यादा लोगों पर 200 से ज््यादा मामले दर्ज है। मगर जब जांच दल ने मामलों की जानकारी मांगनी चाही तो पुलिस ने “अभी उपलब्ध नहीं है” कह कर टाल दिया। 

संगठन के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य अन्सार इन्दौरी ने कहा की पुलिस के जरिए कई स्थानों पर गौरक्षा चैकी बनाई गई है लेकिन पुलिस अधिकारी कबूल करते है की इन चैकियों से अभी तक एक भी गौतस्कर पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पायी है। दूसरी ओर जांच दल के सामने आया है की ये गौ तस्कर हमेशा सिर्फ गौरक्षकों को ही मिलते है पुलिस को नहीं मिलते।
जांच दल के सदस्य संदीप कुमार ने कहा की जिला प्रशासन इन लोगों को गोपालक मानता है अतरिक्त जिला कलेक्टर  से जब जांच दल मिला तो वहां मौजूद एसडीएम किशन गढ़ बास ने बताया की पिछले दिनों गौरक्षकों की शिकायत पर एक गौपालक की 50 से ज्यादा गायों को पुलिस ने पकड़ कर गौशाला भिजवा दिया। जब मामला उनके पास पहंुचा तो उन्होंने जांच के बाद पाया की सभी गाये एक मेव गौपालक की है जिसे वापस  उन्हें सुपर्द कर दिया गया। उन्होने कहा की जांच दाल के सामने उन्होंने कहा की ज्यादतर गौपालक मेव समाज के है। उन्होने कहा की पुलिस ये भी मानती है की बेरोजगार लोग गौरक्षा के नाम पर वसूली करते हैं। 
मृतक  के रिश्तेदारों ने पत्रकार वार्ता में बताया की सरकार से अभी तक उनको किसी भी तरह की कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है। पुलिस ने अभी तक दूसरे फरार आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया है। हमें न्याय व्यवस्था पर पूरा विश्वास है की हमें न्याय जरूर मिलेगा। 
इसके सबके अलावा  भी जांच दल मानता है कि कई सवाल ऐसे है जो पुलिस की भूमिका को शक के दायरे में खड़ा करते है। 

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