बुधवार, 29 नवंबर 2017

प्रदेश के नए डीजीपी की तलाश शुरू

अब राजस्थान पुलिस में डीजी रैंक 

जयपुर। प्रदेश के डीजीपी अजीत सिंह शेखावत 30 नवम्बर को रिटायर हो रहें हैं। अब मात्र चार महीने में ही प्रदेश में एक बार फिर नए डीजीपी की तलाश शुरू हो गयी है। एक एक बार फिर से प्रदेश ब्यूरोक्रेसी में किसी बात की सबसे ज्यादा चर्चा है तो वो है ​प्रदेश का अगला डीजीपी कौन होगा।

अजीत सिंह शेखावत के बाद प्रदेश को नया डीजीपी मिलेगा या वर्तमान शेखावत को ही प्रदेश सरकार 3 महीने का एक्सटेंशन देगी जिसकी संभावना ज्यादा लग रही है, इसका जवाब तो हालांकी 30  नवम्बर को ही मिल पाएगा। वरिष्ठता और अन्य मापदण्डों के आधार पर किन-किन अधिकारियों का नाम इस सूची में आगे चल रहा है वो इस प्रकार है।


 डीजी होमगार्ड नवदीप सिंह
वरिष्ठता की बात करे तो इस इस समय सबसे सीनियर आईपीएस डीजी होम गार्ड नवदीप सिंह है,वर्तमान डीजी अजीत सिंह शेखावत भी वरिष्ठता के मामले में इनके बाद आते थे लेकिन सरकार ने पिछली बार भी नवदीप सिंह की वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए अजीत सिंह शेखावत को डीजी बना दिया था। नवदीप सिंह 1981 बैच के आईपीएस हैं और जून 2018 तक वो डीजीपी बने रह सकते हैं लेकिन उनके डीजी बनने में सबसे बड़ा पेच नवदीप सिंह की पत्नी कांग्रेस की नेता होना हैं, और वो कांग्रेस से विधायक भी रह चुकीं हैं इसी कारण से लगता नही है कि उनको राजे सरकार मौका देगी।

एडीजी, बीएसएफ केके शर्मा 
नवदीप सिंह के बाद सीनियरिटी में नाम आता है केके शर्मा का जो फिलहाल बीएसएफ के एडीजी पद पर तैनात हैं। कहा जा रहा है कि वो इस पद के लिए प्रयास भी नहीं कर रहे हैं।

आईपीएस अधिकारी कपिल गर्ग
केके शर्मा के बाद नाम आता है कपिल गर्ग का, गर्ग 1983 बैच के अधिकारी हैं। कहा जा रहा है कपिल को प्रदेश सरकार डीजी जेल बना सकती है।

सीआरपीएफ के आईजी सुधीर प्रताप सिंह
1983 बैच के आईपीएस सीआरपीएफ के आईजी सुधीर प्रताप सिंह भी प्रदेश के डीजीपी पद के प्रबल दावेदार हैं और राजपुत होने के साथ ही भाजपा के राजीव प्रताप रूडी के भाई होने का भी फायदा इन्हें मिल सकता है। सुधीर प्रताप सिंह का रिटायमेंट जनवरी 2018 में होगा ऐसे में राज्य सरकार को फिर से तीन महीने में डीजी की खोज करनी होगी जिसकी संभावना कम ही लगती है।

सरकार के सबसे पसंदीदा हैं ओपी गल्होत्रा 
प्रदेश का अगला डीजीपी कौन होगा इसका अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ही करेंगी और मुख्यमंत्री हमेशा बड़े पदों पर चौकाने वाला नाम ले आती हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि ओपी गल्होत्रा जो 1985 बैच के आईपीएस है उनको भी मुख्यमंत्री मौका दे सकती है।वैसे भी गलहोत्रा का रिटायमेंट अक्टूबर 2019 में होना है। ऐसे में अगर चुनावी साल में सरकार एक ही डीजीपी के साथ रहे तो उसके लिए भी अच्छा होता है ऐसे में संभावना है कि गल्होत्रा को मुख्यमंत्री अभी मौका दे दे हालांकी ज्यादा संभावना इस बात की है कि ​अभी मुख्यमंत्री वर्तमान डीजी को एक 3 महीने का एक्सटेंशन दे दे और तीन महीने बाद ओ पी गलहोत्रा को डी जी बना दिया जाये।

मंगलवार, 28 नवंबर 2017

सरकार का पैसा किसी के बाप का पैसा नहीं - नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद

बिहार विधानसभा में बुधवार को काफी हंगामे के आसार हैं. शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन कई विधेयक पेश किये जाने हैं. वहीं विपक्ष सदन के अंदर जहां सवालाें को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है, 

 सरकार का पैसा किसी के बाप का पैसा नहीं है. जनता का अधिकार है कि एक-एक पैसे का हिसाब भी जनता के सामने रखा जाना चाहिए : तेजस्वी यादव
 तेजस्वी ने कहा कि 12 साल से घोटाला हो रहा है, उसमें क्या कार्रवाई हुई. किसको क्या सजा हुई, बताइये. सरकार में घोटाले के लिए डबल इंजन लगाया गया है क्या? तेजस्वी प्रसाद यादव के बोलने के बाद सदन में हंगामा शुरू.


 सुशील मोदी के बोलने पर हंगामा. सुशील मोदी ने कहा कि सभी जिलों को निर्देश दिया गया है कि जिलों में निश्चय योजना में अवैध निकासी पर कार्रवाई करें. हम किसी को नहीं छोड़ेंगे. किसी को बख्शा नहीं जायेगा.


 नेता प्रतिपक्ष व राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि बार-बार कहने के बाद भी घोटालों पर कार्रवाई नहीं हो रही है. भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए बिहार के अधिकारी काम कर रहे हैं. घोटाला छिपाने के लिए मुख्यमंत्री ने महागठबंधन को तोड़ा है. जांच नहीं हो रही है. सदन में आकर मुख्यमंत्री जवाब दें.
 मुख्यमंत्री निश्चय योजना में घोटाले पर सदन में बहस शुरू
 सदन की कार्रवाई शुरू
 समस्तीपुर में बीएमपी के जवान की हत्या पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए राजद के भोला यादव ने कहा कि आज सदन में इसकी चर्चा कर सरकार को घेरा जायेगा. वहीं, माले के सदस्यों ने शिक्षकों के 'समान काम-समान वेतन' और बटाईदारों के पक्ष में सरकार द्वारा कार्रवाई करने की मांग की.
विधानसभा पोर्टिको में सभी विरोधी दल के विधायकों ने हाथो में घोटालों का पोस्टर लेकर किया प्रदर्शन. शौचालय, सृजन और विदयालय निर्माण में घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री के खिलाफ नारेबाजी की नारेबाजी.

 विपक्षी दल के सदस्यों सदन के बाहर पोर्टिको में पहुंचे.के बाहर भी विपक्ष के सदस्य नारेबाजी कर कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल उठा रहे हैं. 

पुलिस विभाग हुआ हाईटेक - गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया

pix- surendra jain paras

जयपुर, । गृह मंत्री  गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि प्रदेश में बेहतर कानून-व्यवस्था और अमन-चैन कायम रखना राज्य सरकार की प्राथमिकता रही है और यह बताते हुए खुशी है कि पुलिस ने इस काम में अभूतपूर्व सफलता अर्जित की है। प्रदेश में हत्या, अपहरण, लूट-डकैती एवं दुष्कर्म जैसे संगीन अपराधों के साथ-साथ पिछले तीन वर्षों में आईपीसी के तहत दर्ज सभी प्रकार के अपराधों में कमी आई हैं, इससे राज्य ने देश में एक मिसाल कायम की है।

 कटारिया मंगलवार को राज्य सरकार के चार वर्ष पूर्ण होने पर पुलिस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेन्स में पॉवर प्वाइंट प्रजेन्टेशन के माध्यम से पुलिस विभाग की उपलब्धियों की जानकारी दे रहे थे। कटारिया ने बताया कि भारतीय दण्ड संहिता के अपराधों में वर्ष 2015 में वर्ष 2014 की अपेक्षा 5.86 प्रतिशत की कमी आई, जबकि वर्ष 2016 में वर्ष 2015 की अपेक्षा 8.93 प्रतिशत की कमी आई है। इसी तरह विशेष अधिनियमों के अपराधों में वर्ष 2015 में वर्ष 2014 की अपेक्षा 10.24 प्रतिशत अधिक कार्यवाही की गई, जबकि वर्ष 2016 में वर्ष 2015 की अपेक्षा 10.38 प्रतिशत अधिक कार्यवाही की गई। राज्य में निरोधात्मक कार्यवाही में वर्ष 2015 में वर्ष 2014 की अपेक्षा 11.90 प्रतिशत तथा वर्ष 2016 में वर्ष 2015 की अपेक्षा 11.05 प्रतिशत अधिक की गई।

महिला अत्याचार के मामलों में आई कमी
महिलाओं के प्रति अपराधों पर आंकडे़ प्रस्तुत करते हुए गृहमंत्री ने बताया कि वर्ष 2015 में वर्ष 2014 की अपेक्षा 9.55 प्रतिशत, जबकि वर्ष 2016 में वर्ष 2015 की अपेक्षा 2.58 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। वर्ष 2003 के अंत में महिला अत्याचार के मामले 12 हजार 178 थे, जो वर्ष 2008 के अंत में 15174 हुए थे, वहीं वर्ष 2009 से 2013 की अवधि में ये 29 हजार 150 हो गए। इन 5 वर्षों के कार्यकाल में महिला अत्याचार 92 प्रतिशत बढ़ गए। हम लगातार इन अपराधों को कम करने का प्रयास कर रहे हैं, जिसके फलस्वरूप गत 4 वर्षों में लगभग  5 प्रतिशत की कमी आयी। अनुसूचित जाति के अपराधों में वर्ष 2015 में वर्ष 2014 की अपेक्षा 12.22 प्रतिशत, वर्ष 2016 में वर्ष 2015 की अपेक्षा 13.13 प्रतिशत तथा अनुसूचित जनजाति के अपराधों में वर्ष 2015 में वर्ष 2014 की अपेक्षा 16.18 प्रतिशत और वर्ष 2016 में वर्ष 2015 की अपेक्षा 15.12 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई।

सरदार पटेल काउन्टर टेरेरिज्म सेन्टर की स्थापना
गृहमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार के ठोस प्रयासों से जयपुर ग्लोबल सेंटर फॉर सिक्यूरिटी एण्ड काउण्टर टेरेरिज्म एण्ड एन्टी इन्सर्जेन्सी की स्थापना के लिये केन्द्र सरकार ने 275 करोड़ रुपये स्वीकृत किये हैं। इसमें केन्द्र सरकार की 165 करोड़ तथा राज्य सरकार की 110 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी रहेगी।

समय पर सुनिश्चित की पुलिसकर्मियों की पदोन्नत
 कटारिया ने बताया कि विभाग में चार वर्ष के दौरान 12 हजार 764 अधिकारियों व कर्मचारियों को सीधी भर्ती के माध्यम से नियुक्तियां दी गईं, जबकि 708 राज्य कर्मचारियों को अनुकम्पा नियुक्तियां दी गइर्ं। इन चार वर्षों में 14 हजार 327 अधिकारियों व कर्मचारियों को पदोन्नतियां मिलीं। उत्कृष्ट कार्य करने पर वर्ष 2014 में 27, वर्ष 2015 में 35 तथा वर्ष 2016 में 41 अधिकारियों व कर्मचारियों  को विशेष पदोन्नति दी गई।

अभय कमाण्ड सेन्टर की स्थापना 
गृहमंत्री ने बताया कि आमजन को त्वरित प्रभावी पुलिस सहायता एवं सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए 16 मार्च, 2017 को पुलिस आयुक्तालय जयपुर में अभय कमाण्ड सेंटर व कन्ट्रोल रूम का शुभारम्भ किया गया। इसके बाद अजमेर एवं कोटा में भी ये अभय कमाण्ड सेंटर स्थापित किये जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि भीड़ नियंत्रण एवं कानून-व्यवस्था हेतु 10 यूएवी उपलब्ध कराये गये, 3 हजार 598 वाहन क्रय किये गये।

पुलिस कर्मियों के लिए आवास व प्रशासनिक भवनों का निर्माण
 कटारिया ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा गत 4 वर्षों में 10 अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आवास, 28 सी.ओ. आवास, विभिन्न जिला/यूनिटों में 164 अपर एवं 1182 लोअर सब-ऑर्डिनेट आवासीय भवनों के लिए 30236.65 लाख रुपये स्वीकृत किये गये। साथ ही 8 अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, 37 पुलिस उप अधीक्षक कार्यालय, 57 पुलिस थाना/महिला थाना भवन एवं 18 पुलिस चौकियों के प्रशासनिक भवनों का निर्माण करवाया जा रहा है, जिन पर 13 हजार 148 लाख रुपये की स्वीकृति जारी की गई।

नवीन पदों का सृजन
गृहमंत्री ने बताया कि विभाग में 3 पुलिस अधीक्षक, 8 अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, 20 उप पुलिस अधीक्षक, 30 पुलिस निरीक्षक, 117 उप निरीक्षक पुलिस, 40 सहायक उप निरीक्षक, 544 हैड कॉन्स्टेबल, 1 हजार 999 कॉन्स्टेबल एवं 9 कानि0 ड्राईवर के पदों का सृजन किया गया। इसके अलावा एसडीआरएफ बटालियन एवं 25 पुलिस चौकियों का सृजन किया गया। सीआईडी (सीबी) में सोशल मॉनिटरिंग सेल, बम खोजी तथा श्वान दलों का गठन किया।

आरपीए उत्तर भारत की सर्वश्रेष्ठ पुलिस अकादमी 
 कटारिया ने बताया कि गृह मंत्रालय ने 24 नवम्बर, 2016 को राजस्थान पुलिस अकादमी को ‘राजपत्रित प्रशिक्षण संस्थान’ श्रेणी में सम्पूर्ण उत्तर भारत की सर्वश्रेष्ठ पुलिस अकादमी घोषित किया है। अकादमी में विभिन्न विषयों पर 183 प्रशिक्षण कोर्स आयोजित कर 7149 पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया।

पुलिस विभाग हुआ हाईटेक
 कटारिया ने कहा कि पुलिस विभाग तकनीक की दृष्टि से भी काफी मजबूत हुआ है। उन्होंने बताया कि विभाग के वेबपोर्टल पर शुरू किये गये ई-एफआईआर स्टेटस लिंक में 1 लाख 71 हजार 173 व्यक्तियों द्वारा प्रकरणों के स्टेटस की ऑनलाइन जानकारी प्राप्त की गई एवं 1 लाख 89 हजार 248 प्रथम सूचना रिपोर्ट का इन्द्राज वेब पोर्टल पर किया गया है। राज्य के सभी थानों में सीसीटीएनएस के अन्तर्गत ऑनलाइन एफआईआर एवं रोजनामचा आम दर्ज किया जा रहा है। आमजन के उपयोग हेतु ’’राजकॉप सिटीजन एप’ विकसित कर अपराध की रिपोटिर्ंग, किरायेदार/घरेलू नौकर का चरित्र सत्यापन, मुझे सहायता चाहिए, डॉयल 100, महिला हैल्प लाईन एवं वाहन की खोज आदि सुविधाएं प्रदान की गई है।

आपदा में एसडीआरएफ ने लोगों को किया महफूज
 कटारिया ने कहा कि राज्य आपदा प्रतिसाद बल द्वारा मानसून सत्र 2016 एवं 2017 के दौरान राज्य के विभिन्न बाढ़ प्रभावित जिलों में 1500 व्यक्तियों को सुरक्षित बचाया गया।  गृहमंत्री ने बताया कि 6 नवम्बर, 2017 को बचाव एवं राहत मद में कुल 565 लाख रुपये बाढ़ राहत के संसाधन जुटाने के लिए एवं 170 लाख रुपये बाढ़ राहत के प्रशिक्षण के लिए स्वीकृत किये गये हैं।

सुधरी जेलों की स्थित
गृह मंत्री कटारिया ने जेल विभाग के बारे में बताया कि केन्द्रीय कारागृह, बीकानेर, भरतपुर, उदयपुर, कोटा, श्रीगंगानगर, जिला कारागृह अलवर, भीलवाडा तथा झालावाड़ में बंदियों की शिक्षा हेतु इग्नू के केन्द्र प्रारम्भ किए गए। राज्य के 9 केन्द्रीय कारागृह एवं 32 अन्य कारागृहों पर सीसीटीवी कैमरे स्थापित किये जा चुके हैं। राज्य की समस्त केन्द्रीय/जिला कारागृहों पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग उपकरण स्थापित कराये गये हैं। केन्द्रीय कारागृह व उच्च सुरक्षा कारागार में 57 जैमर लगाए गए हैं। चार वर्ष में जेलों से मात्र 16 बंदी फरार हुये , जिनमें से केवल एक बंदी की गिरफ्तारी शेष है।

पॉलीग्राफ सेंटर शुरू
गृहमंत्री ने अपराधियों को तीव्रतर सजा दिलाने के लिये राजस्थान में फोरेंसिक सेवा विस्तार की जानकारी भी दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश की एफ.एस.एल. यूनिट में 21 फरवरी, 2017 को पॉलीग्राफ सेन्टर का शुभारम्भ किया गया। इस परीक्षण कार्य के लिये पहले गुजरात पर निर्भर रहना पड़ता था। श्री कटारिया ने बताया कि सभी सहायक निदेशक अभियोजन कार्यालयों (जिला मुख्यालय) को ई-लाइब्रेरी की सुविधा उपलब्ध कराई गई तथा 17 नये भवनों को निर्माण भी कराया गया।

 कटारिया ने कहा कि प्रदेश में पुलिस के प्रभावी प्रबन्धन से अपराधियों व असामाजिक तत्वों खिलाफ की गई कठोर कार्रवाई, कड़ी निगरानी एवं आम जनता और जनपर्रतिनिधियों के सकारात्मक सहयोग से छुटपुट घटनाओं को छोड़ कर शांति एवं साम्प्रदायिक सौहाद्र्र की स्थिति कायम रही है।

हम मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरुकता फैलायेंगे- 'मिस वर्ल्ड' मानुषी छिल्लर

 मैं  निश्चित रुप से आमिर खान की फिल्म में काम करना चाहती हूं. 

 हाल ही में 'मिस वर्ल्ड' का ताज पहनने वाली मानुषी छिल्लर सुर्खियों में हैं. इसके बाद ही से ही उनकी फिल्‍म इंडस्‍ट्री में कदम रखने के कयास लगाये जा रहे हैं. लेकिन ऐसी अफवाहों पर विराम लगाते हुए मानुषी ने साफ किया है कि फिलहाल उन्‍हें फिल्‍मों में आने का उनका कोई इरादा नहीं है. मानुषी ने हाल में चीन के सान्या में मिस वर्ल्ड 2017 बनकर देश का नाम रोशन किया था.
जब उनसे बॉलीवुड को लेकर उनकी योजनाओं के बारे में पूछा गया तो मिस वर्ल्ड ने कहा कि इस समय फिल्म इंडस्टरी उनके दिमाग में नहीं है. उन्होंने कहा, वर्तमान वर्ष को लेकर मैं बहुत उत्साहित हूं. मैं यात्रा करुंगी, महाद्वीपों की यात्रा करुंगी. हम मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरुकता फैलायेंगे जहां मेरे साथ मेरी अन्य मिस वर्ल्ड भी शामिल होंग.


हालांकि मानुषी ने इस बात से इनकार भी नहीं किया कि वो फिल्‍मों में काम नहीं करेंगी. उनका कहना है कि,' वह जाने-माने अभिनेता आमिर खान की फिल्म में काम करना पसंद करेंगी क्योंकि सुपरस्टार सामाजिक-प्रासंगिक फिल्में बनाने के लिए जाने जाते है.' हरियाणा की रहने वाले मेडिकल की इस छात्रा ने कहा कि बॉलीवुड में सभी कलाकार अच्छे है लेकिन आमिर और पूर्व मिस वर्ल्ड प्रियंका चोपडा उनकी पसंदीदा है.


उन्होंने कहा, मैं निश्चित रुप से आमिर खान की फिल्म में काम करना चाहती हूं. मेरा सोचना है कि उनके पास कुछ चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं रहती हैं जो वह आपको देते है. इसके साथ ही उनकी फिल्मों में एक संदेश होता है जो समाज के साथ जोडता है. इसलिए ऐसा करना काफी रोचक होगा. अभिनेत्रियों में मेरी पसंदीदा प्रियंका चोपडा है.'
20 वर्षीया मानुषी इस वर्ष मई में फेमिना मिस इंडिया वर्ल्ड 2017 भी बनीं थी.  मानुषी ने कहा कि सौन्दर्य प्रतिस्पर्धा के प्रारंभिक सप्ताह में कई प्रतियोगियों ने सोचा था कि वह एक बॉलीवुड अभिनेत्री है. निश्चित रुप से आमिर खान की फिल्म में काम करना चाहती हूं. 

बिहार में भी फिल्म 'पद्मावती' नहीं चलेगी.- नीतीश कुमार

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों को बिहार में फिल्म 'पद्मावती' पर बैन लगाने का निर्देश दिया. बॉलीवुड फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' को लेकर चल रहा विवाद   बिहार विधानसभा तक पहुंच गया. सुपौल के छातापुर से भाजपा विधायक नीरज कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फिल्म पद्मावती पर बैन लगाने से संबंधित का पत्र सौंपा.

नीतीश कुमार ने फिल्म 'पद्मावती' पर बैन लगाने के लिए स्वीकृति देते हुए अधिकारियों को कहा कि जब तक विवाद खत्म नहीं हो जाता, बिहार में फिल्म 'पद्मावती' का प्रदर्शन नहीं होगा. इसके बाद नीतीश कुमार ने अधिकारियों को बिहार में फिल्म पर बैन लगाने का निर्देश दे दिया. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को कहा कि जब तक संजय लीला भंसाली और फिल्म से जुड़े लोग विवाद के संबंध में सफाई नहीं देंगे, बिहार में भी फिल्म नहीं चलेगी.

भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए किसी भी तरह की कोई कोताही नहीं बरती गयी है- बाबूलाल वर्मा

एकल पात्र लाभार्थियों को फूड कूपन देने की पहल
27 से अधिक पेट्रोल पम्पाें के विरूद्ध अभियोग दर्ज
pix- Surendra Jain Paras
जयपुर, । खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के मंत्री  बाबूलाल वर्मा ने कहा है कि मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की मंशा के अनुरूप प्रदेश में वरिष्ठ नागरिक एवं निःशक्तजन जैसे एकल पात्र लाभार्थी, जो खाद्य सुरक्षा योजना की ई-पात्रता सूची में सम्मिलित हैं ऎसे 33 हजार लोग जो किन्हीं कारणों से उचित मूल्य की दुकान पर पहुंचकर खाद्यान्न सामग्री प्राप्त करने में असमर्थ है को एकमुश्त 12 माह के लिए 12 फूड कूपन उपलब्ध कराते हुए लाभान्वित करने की शुरूआत की गयी है। इन फूड कूपन के जरिये लाभार्थी अपने रिश्तेदार/पड़ोसी या अन्य किसी व्यक्ति के माध्यम से अपना राशन घर बैठे प्राप्त कर सकता है।

वर्मा  राज्य सरकार के चार वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर किसान भवन में आयोजित प्रेसवार्ता को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना अंतर्गत प्रदेश की 26 हजार से अधिक उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से पारदर्शिता के साथ सितम्बर 2016 से नवम्बर 2017 तक पोस मशीनों के माध्यम से 16.93 करोड ट्रांजेक्शन किया जा रहा है। इससे कालाबाजारी पर पूरी तरह रोक लगाने का प्रयास किया गया है। देश में राजस्थान ही एकमात्र ऎसा राज्य है, जहां 5919 अन्नपूर्णा भण्डार के माध्यम से एक ही छत के नीचेे आम उपभोक्ताओं को 350 से अधिक मल्टी ब्राण्ड वस्तुएं एमआरपी से 3 से 30 फीसदी कम दरों पर उपलब्ध कराई जा रहे हैं। 

भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए उपभोक्ता मामले विभाग में विधिक माप विज्ञान प्रकोष्ठ द्वारा पहली बार ऑनलाइन पंजीयन कराकर लाइसेंस लेने की सम्पूर्ण प्रक्रिया का पूरी तरह सरलीकरण किया गया है। विधिक माप एवं ऑयल कंपनियों की संयुक्त टीम गठित कर पेट्रोल पम्प, गैस एजेन्सी एवं होटल रेस्टोरेन्ट इत्यादि की समय-समय पर नियमित जांच एवं निरीक्षण किया जाता है और कोई शिकायत आने या अनियमतता पाए जाने पर संबंधित के खिलाफ किसी भी तरह की कोई कोताही नहीं बरती गयी है। इसी वित्तिय वर्ष में 27 से अधिक पेट्रोल पम्पों के विरूद्व अभियोग दर्ज किये गये हैं। साथ ही विधिक माप विज्ञान अधिनियम 2009 के अंतर्गत 6 एयरपोर्ट, 43 मिठाई की दुकान, वर्कशॉप के 11, र्धमकांटों के 2 एवं किराने की दुकानों के विरूद्व 24 अभियोग दर्ज किये गये हैं। 

पत्रकार वार्ता के दौरान मंत्री ने बताया कि उपभोक्ताओं को त्वरित राहत प्रदान करने के लिए राज्य उपभोक्ता हेल्पलाइन 1800-180-6030, पोस मशीन से राशन सामग्री लेने के दौरान किसी भी तरह की समस्या के समाधान के लिए हेल्पलाइन नं. 1800-180-6127 पर शिकायत दर्ज करायी जा सकती है। साथ ही उपरोक्त सभी समस्यों के निराकरण के लिए किसी भी समय कोई भी उपभोक्ता हाल ही विभाग की ओर से जारी व्हॉट्सऎप नम्बर 7230086030 पर संदेश द्वारा अपनी समस्या के समाधान के लिए सम्पर्क कर सकता है। नवाचार के रूप में प्रदेश के कुल 33 जिलों के 33 महाविद्यालयों में विद्यालयों की तर्ज पर उपभोक्ता क्लब भी शुरू किये गये हैं।  
मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत प्रदेश के 4.5 करोड़ पात्र लोगों को उनके हक की पूरी राशन सामग्री समय पर मिल रही है। पोस मशीन के माध्यम से पारदर्शिता के साथ 16.93 करोड़ का ट्राजेंक्शन होने से कालाबाजारी पर अंकुश लगा है।
उन्होंने बताया कि जनजातीय उप योजना के क्षेत्र (टीएसपी) में आने वाले दुर्गम इलाकों में 90 प्रतिशत लोगों को खाद्य सूची से जोडा गया है। राज्य सरकार के विशेष प्रयासों से बारां जिले के 30 हजार एवं उदयपुर जिले के 1100 कथौडी परिवार जो अत्यंत गरीब है, को एनएफएसस के अंतर्गत सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत लाभान्वित किया जा रहा है। 
जिन पात्र उपभोक्ताओं का पोस मशीन से सत्यापन नहीं हो पा रहा, आधार कार्ड नहीं है, प्रदेश के ऎसे 8061 पात्र लाभार्थियों को भी राशन सामग्री भौतिक सत्यापान कराकर दी जा रही है, जहां पोस मशीन के माध्यम से कनेक्टीविटी की समस्या आ रही है। 
 वर्मा ने बताया कि आमजन के सुलभ अवलोकन हेतु सभी उचित मूल्य दुकानों एवं ग्राम पंचायत मुख्यालय स्थित सभी अटल सेवा केन्द्रों पर खाद्य सुरक्षा योजना अंतर्गत चयनित पात्र लाभार्थियों की ई-पात्रता सूची उपलब्ध है और इतना ही नहीं व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 10516 सनबोर्ड लगवाकर आम उपभोक्ताओं को विभाग की योजनाओं से लाभान्वित करने की पहल की गयी है। 
 
आयोजित प्रेसवार्ता में शासन सचिव श्री राजीव सिंह ठाकुर, अतिरिक्त खाद्य आयुक्त  पी. रमेश, विभाग की उपायुक्त अंजू राजपाल, खाद्य मंत्री के विशिष्ठ सहायक विभू कौशिक विभाग एवं खाद्य निगम के सभी अधिकारी उपस्थित रहे।
 

जेडी वीमेंस कॉलेज में लगा सेनेटरी नैपकीन वेडिंग व डिशपोजल मशीन

पटना बिहार प्रदेश जनता दल यू उद्योग प्रकोष्ठ द्वारा नवअस्तित्व फाउण्डेशन के सहयोग से बिहार में पहली बार राजधानी के प्रतिष्ठित कॉलेज जेडी वीमेंस कॉलेज में स्वच्छ बेटियां -स्वच्छ समाज के थीम के तहत पहला सेनेटरी डिशपोजल एवं वेण्डिंग मशीन लगाया गया। मशीन के मेंटनेंस एवं सेनेटरी पैड की उपलब्धता कराने एवं समय समय पर माहवारी से जुड़ी जागरूकता कार्यक्रम कराने की जिम्मेदारी नव अस्तित्व फाउण्डेशन द्वारा लिया गया है।यह सुविधा मशीन लगते ही चाले हो गया और कॉलेज की छात्राओं को आसानी से सेनेटरी नैपकीन मिलने लगा।कार्यक्रम का लक्ष्य प्रत्येक महिला कॉलेजों में माहवारी से संबंधित काउंसलिंग सेशन कराना एवं संबंधित कॉलेज से लड़कियों की स्चच्छता दूत की एक टीम गठन कराना है। इस टीम का काम होगा अपनेकॉलेज में माहवाारी से संबंधित जागरूकता फैलाना एवं सुचारू रूप से मशीनों का संचालन करना है। इस कार्यक्रम का उद्घटन जदयू के प्रदेश कोषाध्यक्ष सह विधान पार्षद डॉ. रणवीर नंदन ने किया।उन्होंने स्वछता अभियान पर चर्चा करते हुए कहा कि जब घर महिलाएं स्वस्थ्य व शिक्षित होंगी। तो समाज को बदलने से कोई रोक नहीं सकता। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सपना है किमहिलाएं सशक्त हो और वह बिहार के विकास में कदम से कदम मिलाकर काम करे। इस मौके पर कार्यक्रम की अध्यक्षता जदयू उद्योग प्रकोष्ठ के अध्यक्ष संजय खंडेलिया ने किया। इस मौके परप्रकोष्ठ के अध्यक्ष संजय खंडेलिया द्वारा यह निर्णय लिया गया कि प्रयोग के तौर पर बिहार के सभी जिलों  में एक महिला कॉलेज का चुनाव किया जाए और वहां सेनेटरी  वेडिंग एवं डिशपोजल मशीनमशीन लगाया जाएगा। इससे राज्य की हजारो हजार बच्चियों को इस योजना का लाभ मिल सकेगा।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के महिलाओं एवं स्त्रीयों के स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा एवं स्वच्छता केप्रतिबद्धता को अमली जामा पहनाने के उद्देश्य से इस अभियान स्वच्छ बेटियां-स्वच्छ समाज की शुरूआत की गयी है। इस मौक पर जदयू उद्योग प्रकोष्ठ की प्रदेश महासचिव पल्लवी सिन्हा ने बतायाकि आकड़ों के अनुसारआज बिहार में लगभग 83 प्रतिशत महिलाएं माहवारी के दौरान सेनेटरी पैड की जगह गंदे कपड़ों का इस्तेमाल करती है जिससे उन्हें कई प्रकार की बिमारीयों जैसे संक्रमण,बांझपन,बच्चेदानी का कैंसर जैसी घातक बीमारियों का समाना करना पड़ता है। और उनकी कभी कभी असमय में मौत भी हो जाया करती है। इस प्रकार की समस्या लगभग समाज के हर वर्ग में व्याप्त है। इसमौके पर प्रदेश उपाध्यक्ष अमृता सिंह ने कहा कि इस समस्या का पूर्ण रूप से समाप्त करने के लिए बड़े परिवर्तन की जरूरत है जिससे महिलाओं एवं बच्चियों को आसानी से सेनेटरी पैड उपलब्ध करायाजा सके और समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाया जाए। उन्होंने कहा कि सामाजिक बदलाव सरकार व समाज के सही सामंजस्य से ही संभव है। किसी भी राज्य का सर्वागीन विकास तभी संभवहै जब उसमें रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति इस बदलाव का हिस्सा बनने को तैयार होता है। कार्यक्रम में महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष अंजुम आरा, मैक्सलाईफ डाइगनोस्टिक के एमडी डॉ. संजीवकुमार,कॉलेज की प्रचार्य डॉ. मीरा कुमारी, विख्यात लेखिका ममता मेहरोत्रा,जदयू की प्रदेश प्रवक्ता डॉ. सुहैली मेहता,कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीषा सिंह, समाजसेवी जगजीवन सिंह,डॉ.भावना शेखर,जदयू उद्योग प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष राजीव अग्रवाल, सुनीता सिंह, रीना राजपूत, नव अस्तित्व फाउंडेशन की कोषाध्यक्ष डॉ. अर्चना कुमारी सहित गई गणमान्य हस्तियां बतौर अतिथि मौजूद रही।

सोमवार, 27 नवंबर 2017

बातें फेंकने में माहिर हैं मोदी- अरूण शौरी

जाने-माने पत्रकार और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर जमकर हमला बोला। शौरी ने आरोप लगाया कि पीएम ने शक्तियों को अपने केंद्र में रखकर पीएम ऑफिस को बेहद कमजोर कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार झूठ बोलती है और वह अपने किए वादों को पूरा भी नहीं कर रही।
बातें फेंकने में माहिर हैं मोदी, गुजरात मॉडल की सच्चाई सबके सामने: अरूण शौरी

अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे शौरी ने नई दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम में कहा कि जो शख्स अपने आप में सुरक्षित महसूस करता है वह कैसे भी हालात में घबराता नहीं है, लेकिन जो शख्स खुद सुरक्षित महसूस नहीं करता वह हमेशा डरा रहता है और किसी एक्सपर्ट को अपने पास आने नहीं देता।

शौरी ने कहा कि मोदी सरकार बड़ी ही संवेदनशील है और अपनी आलोचना बर्दाश्त नहीं कर पाती। शौरी ने यह भी कहा कि मोदी की ही तरह महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने भी सत्ता को अपने केंद्र में रखा हुआ है।

पार्टी के कार्यकर्ता मुद्दों और राजनीति के साथ संगठन को भी मजबूत करें- नीतीश कुमार

मुख्यमंत्री व जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने अपने सरकारी आवास पर जदयू राज्य कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता मुद्दों और सकारात्मक राजनीति के साथ-साथ संगठन को मजबूत करें. नियमित बैठक व विचारों के आदान- प्रदान से नेतृत्व क्षमता का विकास होता है. जमीनी हकीकत का पता चलता है.

मुख्यमंत्री ने पार्टी प्रवक्ताओं को ड्रेस कोड का पालन करने की नसीहत दी. राज्य कार्यकारिणी की बैठक में सरकार के कार्यक्रमों के साथ-साथ सीएम के जन सरोकार व समाज सुधार वाले एजेंडों को पूरी तत्परता के साथ लोगों तक पहुंचाने का निर्णय लिया गया. बैठक में पार्टी के आगामी कार्यक्रमों पर चर्चा हुई. बैठक की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने की. बैठक में राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी  सिंह, ऊर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव, सांसद हरिवंश व मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह सहित श्याम रजक, संजय झा,  गुलाम रसूल वलियावी, नंदकिशोर कुशवाहा मौजूद थे.


सीएम ने बैठक में कहा कि संगठक को मजबूत करने के साथ- साथ उसका विस्तार करना है. समाज को  बाल विवाह, नशामुक्ति, दहेज जैसी कुरीतियों के प्रति जागरूक करना है. उन्होंने प्रकोष्ठों के प्रमुखों से मूल पार्टी के साथ समन्वय बनाने को कहा. मुख्यमंत्री ने लालू प्रसाद का बिना नाम लिए कहा कि महागठबंधन सरकार में निचले स्तर तक हस्तक्षेप हो रहा था. राजनीति में कुछ लोग संपत्ति अर्जित करने के लिए आते हैं. हमारा एजेंडा समाज सुधार का है. सरकार में हमने जो भी संकल्प लिए थे, उन पर अमल हो रहा है.


बैठक के बाद प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने प्रदेश कार्यालय में बताया कि बैठक में गुजरात चुनाव तथा संगठन विस्तार के मुद्दों पर चर्चा की गयी है. जदयू हमेशा सकारात्मक राजनीति  करता है. मुख्यमंत्री  नीतीश  कुमार  के नेतृत्व में  महिल सशक्तीकरण से लेकर शराबबंदी और दहेजबंदी जैसे कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी का इन्हीं सब विचारों को लेकर विस्तार किया जायेगा. बैठक में बूथ लेवल एजेंट का सत्यापन, सहयोग राशि से लेकर  सरकार के सात निश्चय  कार्यक्रम केप्रचार-प्रसार, लोक शिकायत निवारण कानून की जानकारी देने, पूर्ण शराबबंदी के प्रति जागरूकता अभियान चलाने,  दहेज प्रथा का विरोध, बाल विवाह प्रथा का उन्मूलन आदि मुद्दों पर चर्चा की गयी.

15 हजार कार्यकर्ताओं को देंगे प्रशिक्षण
राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी सिंह ने कहा कि पार्टी एक से 14 दिसंबर तक सभी जिलों तथा विधानसभा के कार्यकर्ताओं के लिए पटना में प्रशिक्षण कार्यक्रम चलायेगा. 15 से 22 दिसंबर तक प्रकोष्ठों का प्रशिक्षण होगा. इसी महीने प्रखंड कार्यकर्ताओं का भी सम्मेलन होगा. करीब 15 हजार कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि पार्टी के 52 उम्मीदवारों ने गुजरात में नामांकन किया है.

एक से 14 दिसंबर तक पटना में प्रशिक्षण कार्यक्रम 
एक दिसंबर को बगहा, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण, दो दिसंबर को  मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी और शिवहर, तीन  दिसंबर काे  दरभंगा, दरभंगा ( नगर), मधुबनी, चार दिसंबर को समस्तीपुर, बेगूसराय स बेगूसराय ( नगर), पांच दिसंबर को सारण व वैशाली,  छह दिसंबर को गोपालगंज व सीवान, सात दिसंबर को  सुपौल, सहरसा, खगड़िया, मधेपुरा आठ दिसंबर को अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, पूर्णिया ( नगर), कटिहार, कटिहार ( नगर), नौ दिसंबर को भागलपुर, भागलपुर ( नगर), नवगछिया, बांका, जमुई,  11 दिसंबर को मुंगेर, लखीसराय, शेखपुरा, नवादा, बाढ़ 12 दिसंबर को जहानाबाद, अरवल, गया, गया ( नगर) औरंगाबाद, 13 दिसंबर को पटना, पटना (ग्रामीण), नालंदा, बिहारशरीफ,  चौदह दिसंबर को रोहतास, कैमूर, बक्सर, आरा, भोजपुर िजले के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा.

15 से 22 तक इस तरह चलेगा कार्यक्रम
15 दिसंबर को महिला, पंचायती राज न नगर निकाय, 16 दिसंबर को युवा, छात्र व खेलकूद , 17 दिसंबर को अति पिछड़ा  व जल श्रमिक, 18 दिसंबर को अल्पसंख्यक व बुनकर,  19 दिसंबर को किसान, सहकारिता, श्रमिक व पूर्व सैनिक, 20 दिसंबर को दलित, महादलित एवं आदिवासी,  21 दिसंबर को चिकित्सा, तकनीकी सेवादल एवं सांस्कृतिक, 22 दिसंबर को बुद्धिजीवी, शिक्षक, विधि एवं कलमजीवी प्रकोष्ठ का प्रशिक्षण आयोजित किया जायेगा.

क्यों पुलिस गौपालकों के खिलाफ पशुक्रूरता अधिनियम में मुकदमे बना लेती ? - एनसीएचआरओ

क्यों हमेशा पुलिस गौरक्षकों के हमले के बाद गौपालकों के खिलाफ पशुक्रूरता अधिनियम में मुकदमे बना लेती ?
 राज्य में भाजपा सरकार आने के बाद ही क्यों अलवर के मेवात इलाके में पुलिस चेकपोस्ट पर गौरक्षा के बोर्ड लगा दिए गए हैं ?
 आज तक पुलिस और गौरक्षकों ने कोई भी गाय कटती हुई क्यों नहीं पकड़ी..?
पुलिस आपसी मुठभेड़ बता रही, गौरक्षकों की फायरिंग से तीन में से दो लोगों को गोली लग जाती है दूसरी ओर  गौरक्षकों में से किसी एक को भी गोली क्यो नहीं लगती, जबकि पुलिस कहती है की गोली चलती गाडी से मारी गई है ?
पुलिस ने ताहिर और जावेद से एक देसी कट्टा बरमाद करना दिखाया है जबकि गोरक्षकों से अभी तक कोई भी हथियार की बरामदगी क्यो नहीं दिखाई है.
पुलिस ने गायों से भरी गाड़ी की कोई फोटो क्यों नहीं ली है ? गायों को गाड़ी से उतार लिए जाने के बाद गायों की फोटो क्यों ली गई है ?
 स्थानीय लोग कैसे इतनी जल्दी गाड़ी के पार्ट्स निकालकर ले गए ?
जयपुर । गौरक्षकों द्वारा हत्या को राजस्थान पुलिस आपराधिक गैंगवार बनाने पर काम कर रही है,ये आरोप मानवाधिकार संगठन एनसीएचआरओ ने अपने जांच दल के दौरे के बाद लगाये है। राजधानी में आयोजित पत्रकार वार्ता में मानवाधिकार संगठन एनसीएचआरओ की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अशोका कुमारी ने कहा की  पुलिस अपनी गैंगवार वाली बात को साबित करने के लिए लगातार झूठ बोल रही है। पुलिस बोल रही है की हत्या के आरोप में पकडे गई लोग गौरक्षक नहीं है बल्कि आदतन अपराधी है,लेकिन हमारे जांच दल ने पाया की पकडे गए हमलावरों का कोई पुराना आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. फिर उमर के हत्त्यारे आदतन अपराधी कैसे हो सकते है ? 
उन्होने कहा की जांच दल मानता है की पुलिस गौरक्षकों की तरफदारी करते नजर आ रही है, पुलिस ने दावा किया है कि हत्या में गौरक्षकों का हाथ नहीं है मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी अनिल बेनीवाल ने बताया कि उमर हत्याकाण्ड मामले में अब तक की गई जांच में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है, जिससे यह कहा जा सके कि इसमे गौरक्षकों का हाथ है। उनके  मुताबिक, गिरफ्तार किये गये व्यक्ति ने उमर और उसके साथियों पर हमले की बात को मान लिया है, साथ ही उन्होने लाश को ठिकाने लगाने की भी बात को कबूल कर लिया है। हालांकि पुलिस इस घटना को फिलहाल हत्या का मामला मान कर जांच कर रही है। पुलिस ने उमर के चाचा की शिकायत पर आईपीसी की धारा 302 (हत्या), धारा 147 (दंगा करने) और धारा 307 (हत्या) के तहत केस दर्ज कर लिया है।
 संगठन के राजस्थान प्रदेश कार्यसमिति सदस्य टीकम शक्यवाल ने कहा की दूसरा तथ्य जिसमे पुलिस खुद उलझती हुई नजर आती है वो है गायों की संख्या, और उनकी नस्ल ,इसको लेकर पुलिस का बयान विरोधाभास से भरा है . उन्होने कहा की जांच दल मानता है की पुलिस की मानसिकता मेव समाज  के खिलाफ है। पुलिस कहती है उस गांव में सभी चोर है। 75 से ज््यादा लोगों पर 200 से ज््यादा मामले दर्ज है। मगर जब जांच दल ने मामलों की जानकारी मांगनी चाही तो पुलिस ने “अभी उपलब्ध नहीं है” कह कर टाल दिया। 

संगठन के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य अन्सार इन्दौरी ने कहा की पुलिस के जरिए कई स्थानों पर गौरक्षा चैकी बनाई गई है लेकिन पुलिस अधिकारी कबूल करते है की इन चैकियों से अभी तक एक भी गौतस्कर पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पायी है। दूसरी ओर जांच दल के सामने आया है की ये गौ तस्कर हमेशा सिर्फ गौरक्षकों को ही मिलते है पुलिस को नहीं मिलते।
जांच दल के सदस्य संदीप कुमार ने कहा की जिला प्रशासन इन लोगों को गोपालक मानता है अतरिक्त जिला कलेक्टर  से जब जांच दल मिला तो वहां मौजूद एसडीएम किशन गढ़ बास ने बताया की पिछले दिनों गौरक्षकों की शिकायत पर एक गौपालक की 50 से ज्यादा गायों को पुलिस ने पकड़ कर गौशाला भिजवा दिया। जब मामला उनके पास पहंुचा तो उन्होंने जांच के बाद पाया की सभी गाये एक मेव गौपालक की है जिसे वापस  उन्हें सुपर्द कर दिया गया। उन्होने कहा की जांच दाल के सामने उन्होंने कहा की ज्यादतर गौपालक मेव समाज के है। उन्होने कहा की पुलिस ये भी मानती है की बेरोजगार लोग गौरक्षा के नाम पर वसूली करते हैं। 
मृतक  के रिश्तेदारों ने पत्रकार वार्ता में बताया की सरकार से अभी तक उनको किसी भी तरह की कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है। पुलिस ने अभी तक दूसरे फरार आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया है। हमें न्याय व्यवस्था पर पूरा विश्वास है की हमें न्याय जरूर मिलेगा। 
इसके सबके अलावा  भी जांच दल मानता है कि कई सवाल ऐसे है जो पुलिस की भूमिका को शक के दायरे में खड़ा करते है। 

रविवार, 26 नवंबर 2017

बिहार कि तर्ज पर राजस्थान

जनता दल (यूनाइटेड) के प्रदेश कार्यकर्ताओ की बैठक संगठन विस्तार हेतु प्रदेश संयोजक दौलतराम पेंसिया की अध्यक्षता मे सम्पन्न हुई। बैठक को संबोधित करते हुए प्रदेश संयोजक पेसिया ने कहा कि बिहार कि तर्ज पर राजस्थान मे भी कर्पूरी ठाकुर फोर्मूले के आधार पर पिछड़ा वर्ग आरक्षण के बँटवारे, प्रदेश मे पूर्ण शराब बन्दी, डौली भूमि की खातेदारी काश्तकारों के नाम करने, बाल विवाह व दहेज प्रथा के लिए व्यावहारिक कानून बनाकर इसे शक्ति से लागू करने आदि मुद्दो के साथ जनता के बीच जाएंगे और आगामी विधानसभा चुनाव मे जदयू के खौए हुए आधार को पुनः प्रपट करते हुए सत्ता मे गरीब शोषित और अतिपिछड़ो कि भागीदारी सुनिश्चित करेंगे। संगठन विस्तार करते हुए प्रदेश संयोजक पेसिया ने बृजमोहन शर्मा को प्रदेश उपाध्यक्ष, बबीता शर्मा को प्रदेश उपाध्यक्ष व जदयू के शराब बन्दी आन्दोलन का प्रदेश समन्वयक, बलदेव सैनी को संगठन सचिव, गोविन्द कुमावत को प्रदेश महासचिव, नफीश खान को प्रदेश संगठन सचिव व मुश्लिम प्रकोष्ठ का प्रदेश प्रभारी , सिराज शाह को मुश्लिम प्रकोष्ठ जिला अध्यक्ष जयपुर, भँवरलाल नरुका को मालपुरा टोडरायसिंघ विधानसभा अध्यक्ष, किशन शर्मा को वार्ड नम्बर 58 जयपुर का वार्ड अध्यक्ष नियुक्त किया। इसी क्रम मे युवा प्रदेश अध्यक्ष रणवीरसिंह रावणा ने युवा संगठन का विस्तार करते हुए सूरजसिंह शेखावत को युवा प्रदेश महासचिव, सांवरसिंह तोगड़ा को युवा जिला अध्यक्ष जयपुर, महावीरसिंह प्रजापति को युवा जिला अध्यक्ष भरतपुर, महेन्द्रसिंह नांदसी को विधानसभा युवा अध्यक्ष मसौदा नियुक्त किया। बैठक को महिला प्रदेश अध्यक्ष अनीता जांगिड़, प्रदेश प्रवक्ता श्याम वर्मा, प्रदेश महासचिव बालूसिंह रावत, युवा प्रदेश उपाध्यक्ष शहीद मंसूरी, सांवरलाल शर्मा पूर्व जिला अध्यक्ष जयपुर आदि ने संबोधित किया। संचालन श्याम वर्मा ने किया।

मैं भाजपा में था, हूं तथा भाजपा में ही रहूंगा- सांसद शत्रुघ्न सिन्हा

मैं भाजपा में था, हूं तथा भाजपा में ही रहूंगा. भाजपा मेरी पहली पार्टी है और यही मेरी आिखरी पार्टी भी रहेगी. उक्त बातें पार्टी में बगावती तेवर अपनाए स्थानीय सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने शनिवार को यहां एक होटल में कार्यकर्ता संवाद वार्ता व मंडल अध्यक्ष सम्मेलन के दौरान कहीं.

 उन्होंने कहा कि पहले भी मेरी टिकट कटने की अफवाह होती रही है और आज भी मेरे कुछ शुभचिंतक मेरी टिकट काटने की बात बतला रहे हैं, पर मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मैं भाजपा की टिकट पर पटना साहिब से ही चुनाव लड़ना मेरी एकमात्र ख्वाइश है. कार्यकर्ताओं की शिकायत पर उन्होंने कहा कि मैं आपकी सारी शिकायत को शीघ्र ही दूर कर दूंगा.

उन्होंने कहा की मैंने पहले भी क्षेत्र में कई विकास कार्य किये हैं तथा शेष कार्यों को पूरा करना मेरी जिम्मेदारी है. जानकारी के अनुसार सांसद ने जहां कार्यकर्ताओं से खुला संवाद किया, वहीं, बख्तियारपुर, खुसरूपुर, फतुहा व दनियावां के मंडल अध्यक्षों के साथ अलग-अलग  बैठक की. मौके पर अमलेश चौहान, टुल्ली सिंह, अनिल कुमार व गौतम सिंह मौजूद थे.

राजस्थान के सभी उद्योग संकट में

 राजस्थान के लाइम स्टोन, सीमेंट, सेरामिक, टेक्सटाइल, फर्टिलाइजर उद्योग बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। ईंट भट्ठे भी बंद होने की कगार पर आ गए हैं।
pix.-Surendra Jain Paras
 दिल्ली में स्मॉग के कारण पेट कोक (पेट्रोलियम कोक) पर लगाए गए प्रतिबंध से राजस्थान के लाइमस्टोन और सीमेंट सहित अन्य उद्योग संकट में पड़ गए हैं। राजस्थान सरकार इस मामले में पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दायर करने की तैयारी कर रही है।

राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण की समस्या को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हाल ही में दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पेट कोक व फर्नेस ऑयल के उपयोग पर पाबंदी लगा दी गई है। पहले यह प्रतिबंध सिर्फ दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के लिए ही था, लेकिन 17 नवंबर के आदेश के बाद चारों राज्यों में इन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। इससे राजस्थान के लाइम स्टोन, सीमेंट, सेरामिक, टेक्सटाइल, फर्टिलाइजर उद्योग बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। ईंट भट्ठे भी बंद होने की कगार पर आ गए हैं।

राजस्थान में पूरे देश का करीब 12 प्रतिशत चूना पत्थर (लाइमस्टोन) निकलता है। इसकी गुणवत्ता भी बहुत अच्छी होती है। यही कारण है कि देश की सभी प्रमुख सीमेंट कंपनियों के प्लांट राजस्थान में लगे हुए हैं। पिछले तीन-चार वर्षो से इन प्लांटों में ईंधन के रूप में पेट कोक का ही इस्तेमाल हो रहा है। कुछ सीमेंट प्लांट तो पूरी तरह पेट कोक पर ही निर्भर हैं।

जानकारों के अनुसार पेट कोक कोयले के मुकाबले करीब 25 प्रतिशत सस्ता है। यह कोयले के मुकाबले एक तिहाई ही काम आता है। यही कारण है कि इसका इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के क्षेत्रीय निदेशक रितुराज तिवारी बताते हैं कि पिछले चार वर्ष में पेट कोक का आयात करीब चार गुना तक बढ़ गया है। यह अमेरिका से आयात किया जाता है। वर्ष 2013 में इसका आयात 78 लाख टन था। अब बढ़कर तीन करोड़ टन हो गया है।

वहीं कोयले का आयात 2015-16 में 20.40 करोड़ टन से 2016-17 में घटकर 19.20 करोड़ टन रह गया है। इसमें और कमी आ रही है। हालांकि अगर पेट कोक पर रोक लगाई जाती है तो कोयले का आयात बढ़ाना पड़ेगा। प्रदूषण रोकने के लिए पेट कोक पर प्रतिबंध बहुत ज्यादा कारगर नहीं है, क्योंकि यह कोयले के मुकाबले सिर्फ 11 प्रतिशत अधिक ग्रीन हाउसगैस उत्सर्जित करता है। इसका विकल्प प्राकृतिक गैस हो सकती है, मगर यह बहुत महंगी है। सरकार को इसे सस्ता करना चाहिए।

आतंकवाद ने भयंकर रूप अख्तियार कर लिया है- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात के जरिए देश को संबोधित किया। उन्होंने मन की बात में कहा कि छोटे छोटे बच्चों को भी देश की समस्याएं पता हैं और उन्हें भी देश की चिंता है। उन्होंने याद दिलाते हुए बताया कि 26/11 को संविधान दिवस है तो वहीं इसी दिन मुंबई पर हमला हुआ था। उन्होंने कहा कि देश कैसे भूल सकता हैं कि 9 साल पहले 26/11 को, आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला बोल दिया था।

देश उन बहादुर नागरिकों, पुलिसकर्मियों, सुरक्षाकर्मी, उन हर किसी का स्मरण करता है, उनको नमन करता है जिन्होंने अपनी जान गंवाई, यह देश कभी उनके बलिदान को नहीं भूल सकता।

पीएम मोदी ने कहा कि आज आतंकवाद ने भयंकर रूप अख्तियार कर लिया है। आतंकवाद ने मानवता को चुनौती दी है और भारत 40 साल से इसके खिलाफ लड़ रहा है। उन्होंने अपील की कि दुनिया मिलकर आतंकवाद का खात्मा करे।

पीएम मोदी ने बताया कि 4 दिसम्बर को हम सब नौ-सेना दिवस मनाएंगे। भारतीय नौ-सेना, हमारे समुद्र-तटों की रक्षा और सुरक्षा प्रदान करती है। मैं, नौ-सेना से जुड़े सभी लोगों का अभिनंदन करता हूं। इस साल सिंतबर में रोहिंग्या मामले में हमारी नौसेना ने बांग्लादेश में सहायता पहुंचाई थी।

मन की बात में उन्होंने कहा कि मुझे यह देख कर काफी खुशी है कि मेरे किसान भाई मृदा–स्वास्थ्य कार्ड में दी गई सलाह पर अमल करने के लिए आगे आए हैं और जैसे-जैसे परिणाम मिल रहे हैं, उनका उत्साह भी बढ़ता जा रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि किसान तो धरती का पुत्र है, किसान धरती-मां को बीमार कैसे देख सकता है? समय की मांग है, इस मां-बेटे के संबंधों को फिर से एक बार जागृत करने की।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ दिन बाद ‘ईद-ए-मिलाद-उन-नबी’ का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन पैगम्बर हज़रत मोहम्मद साहब का जन्म हुआ था। मैं सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।


जब अदालत में लंबित है तो भाजपाइयों ने जनता के साथ किस आधार पर मंदिर बनाने का दावा किया

भाजपा, विश्व हिन्दू परिषद और इसके पार्टनर बजरंग दल आदि ने जनता को भरोसा दिलाया था कि अयोध्या में राम मंदिर बनकर रहेगा । जब वादा किया तो अब उससे परहेज क्यो ? भाजपा द्वारा तर्क दिया जा रहा है कि यह मामला अदालत में लंबित है । जब अदालत में लंबित है तो भाजपाइयों ने जनता के साथ किस आधार पर मंदिर बनाने का दावा किया ? क्या जनता की भावनाओ के साथ खिलवाड़ नही है ? क्या यह धोखाधड़ी की श्रेणी में शुमार नही है ?
हकीकत यह है कि भाजपा की दुकान मे सामान खत्म हो चुका है तभी तो चुनावों के वक्त घिसे पिटे राम मंदिर निर्माण की बात की जा रही है । यदि राम मंदिर बनाना ही था तो इतने दिन भाजपा नेता खामोश क्यों रहे ? क्या भाजपा नेता बता सकते है कि चुनाव के चार साल के भीतर कितने नेताओं ने राम मंदिर के दर्शन किए अथवा राम मंदिर बनाने की दिशा में प्रभावी पहल की ।
जिस प्रकार कांग्रेस गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार का राग आजादी के बाद से अलाप रही है, उसी प्रकार भाजपा के पास बेचने लिए केवल एक मुद्दा है जिसे वह हर बार भुनाने का प्रयास करती है । मूर्ख जनता इन फरेबियों के जाल में फॅस कर उनकी बात को सच भी मान लेती है । खोटी चवन्नी की तरह यह मुद्दा एक बार कामयाब होगया था । लेकिन हर बार खोटी चवन्नी थोडे ही चलेगी । लगता यह भी है कि नरेन्द्र मोदी का विश्वास भी डगमगा गया है, इसलिए उन्होंने यूपी चुनाव में राम मंदिर का आसरा लिया । उसके बाद पूरी तरह खामोश होकर बैठ गए । गुजरात मे इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश की होती तो जूते पड़ना स्वाभाविक था । इसलिए आजकल सीडी के जरिये सिढी पर चढ़ने के प्रयास किया जा रहा है ।
यदि भाजपा को वास्तव मे मंदिर बनाना है तो फालतू बैठे अडवानी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती आदि को सारे काम काज छोडकर राम मंदिर निर्माण के लिए युद्वस्तर पर जुट जाना चाहिए । यदि स्वयं नरेन्द्र मोदी भी वहाॅ चले जाए तो बेहतर होगा । मेरी भाजपा और कांग्रेस दोनो से एक ही विनती है कि जनता को बरगलाना छोडों । देश की जनता सबकुछ जानती है । इसलिए नए मुखोटों की जरुरत है । पुराने मुखोटे जर्जर हो चुके है ।

शनिवार, 25 नवंबर 2017

. आज हम बिहार को एक सुरक्षित प्रदेश के रूप में जानते हैं- उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी

बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने  एक निजी चैनल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कहा कि बिहार में बड़ी कंपनियां निवेश करने के लिए सामने नहीं आ रही हैं, बल्कि यहां छोटे व मध्यम उद्योगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पिछले कुछ वर्षों में यहां एमएसएमई क्षेत्र में निवेश काफी बढ़ा है. बिहार में बड़ी संख्या में छोटे व मध्यम वर्गीय उद्योगों की स्थापना हो रही है.

सुशील मोदी ने कहा कि बिहार के बंटवारे के समय औद्योगिक क्षेत्र झारखंड में चला गया, जिससे बिहार की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से बिगड़ गयी, जबकि झारखंड में वर्ष 2000 के बाद औद्योगिक क्षेत्र में व्यापक बदलाव देखने को मिला. बंटवारे के बाद बिहार में सिर्फ कृषि जमीन ही हाथ लगी. इसलिए बि हार सरकार ने इसे ही अपनी ताकत बनायी और कृषि का विकास करने के लिए हर संभव प्रयास में जुटी हुई है. पिछले 12 वर्षों में बिहार में कृषि क्षेत्र में काफी विकास हुआ है.


 बिहार की तुलना गुजरात से नहीं की जा सकती है, लेकिन बिहार में औद्योगिक विकास की गति तेज हुई है. प्रदेश का योजना गत खर्च 4000 करोड़ रुपये बढ़ कर अब 80 हजार करोड़ रुपये हो गया है. सुशील मोदी ने बिहार की पूर्व राजद सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि एक समय था, जब बिहार की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाया जाता था, पूरे राज्य में भ्रष्टाचार का बोलबाला था, लेकिन आज बिहार की कानून-व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है. आज हम बिहार को एक सुरक्षित प्रदेश के रूप में जानते हैं.

शुक्रवार, 24 नवंबर 2017

राष्ट्रीय सर्वे में राजस्थान शिक्षा क्षेत्र में चौथे स्थान पर- शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी

स्टेट एजूकेशन रिसर्च ट्रेनिंग सेंटर’ की स्थापना की जाएगी
85 हजार करोड़ रुपये व्यय कर प्रदेश को बनाया शिक्षा क्षेत्र में अग्रणी
राष्ट्रीय सर्वे में राजस्थान शिक्षा क्षेत्र में चौथे स्थान पर
Photo- Surendra Jain Paras

जयपुर,।  शिक्षा राज्य मंत्री  वासुदेव देवनानी ने कहा है कि पिछले चार वर्षों में राज्य में आदर्श, उत्कृष्ट और स्वामी विवेकानंद विद्यालयों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया गया है। राज्य सरकार का प्रयास है कि इसी तर्ज पर प्रदेश के सभी विद्यालय ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेेंस’ के रूप में विकसित हों।

 शिक्षा संकुल में राज्य सरकार के चार वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर मीडिया से संवाद कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विद्यालयों में स्टार रैंकिग की हम पहल करने जा रहे हैं। इसके अंतर्गत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में श्रेष्ठतम के आधार पर विद्यालयों को स्टार रैंकिंग प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि स्टाफ पैटर्न की हम समीक्षा कर रहे हैं, प्रयास किया जाएगा कि विद्यालय में छात्र अनुपात में सभी स्थानों पर समुचित शिक्षक पदस्थापित हों।

85 हजार करोड़ रुपये बजट व्यय कर बनाया राजस्थान को शिक्षा क्षेत्र में अग्रणी
शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि आगामी सत्र से प्रदेश में शैक्षिक गुणवत्ता के लिए ‘स्टेट एजूकेशन रिसर्च ट्रेनिंग सेंटर’ की स्थापना की जाएगी। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में स्टूडियो की स्थापना होगी ताकि विडियो कॉन्फ्रेन्स के तहत राज्यभर से इसका जुड़ाव रहे। शैक्षिक गुणवत्ता के लिए हमने कक्षा एक से 8 तक विद्यालयों में लर्निंग लेवल तय किए हैं। राजस्थान प्राथमिक शिक्षा परिषद् और रमसा को एकीकृत करके प्रदेश में शिक्षा का और अधिक प्रभावी विकास किया जाएगा।

18 वें से राजस्थान आया चौथे स्थान पर
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले चार वर्षों में नवाचारों को अपनाते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहते हुए 85 हजार करोड़ रुपये बजट व्यय कर प्रदेश को शिक्षा क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने की पहल की है। इसी से हाल के आए राष्ट्रीय सर्वे में कभी 18 वें स्थान पर रहने वाला राजस्थान आज शिक्षा क्षेत्र में चौथे स्थान पर आ गया है।

जिला शिक्षा अधिकारी के 142 पद भरे
 देवनानी ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले चार वर्षों में प्रदेश में स्कूलों के एकीकरण, प्रत्येक ग्राम पंचायत में 9 हजार 895 आदर्श एव 9500 उत्कृष्ट विद्यालयों की स्थापना की जहां पहल की वहीं एक लाख 9 हजार शिक्षकों की रिकॉर्ड पदोन्नतियां प्रदान की। इसके साथ ही जिला शिक्षा अधिकारी के सभी पद भर दिए गए। आज 142 जिला शिक्षा अधिकारी पद भरे हुए हैं साथ ही प्रधनाचार्य के भी 95 प्रतिशत से अधिक पद भर दिए गए हैं।

1 लाख 50 हजार के करीब नवीन नियुक्तियां की पहल
उन्होंने कहा कि सरकार जब सत्ता में आई तब शिक्षा क्षेत्र में 52 प्रतिशत शिक्षकाें के पद रिक्त थे जो अब घट कर मात्र 15 प्रतिशत तक ही रह गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में एक लाख 50 हजार के करीब नवीन नियुक्तियां की पहल की गई है।  इसमें सीधी भर्ती से 87 हजार 634 पदों पर शिक्षकों की जहां नई नियुक्तियां की है वहीं 16 हजार 669 पदों पर शिक्षकों की भर्ती प्रक्रियाधीन है।

नामांकन में 22 लाख की वृद्धि
उन्होंने कहा कि आज 63 हजार विद्यालयों वाला शिक्षा प्रदेश का सबसे बड़ा विभाग है। उन्होंने कहा कि चार वर्ष पहले विद्यालयों में 60 लाख का नामांकन था। राज्य सरकार द्वारा राजकीय विद्यालयों के सुदृढ़ीकरण के लिए किए प्रयासों से सरकारी विद्यालयों के स्तर में वृद्धि हुई। इसी का परिणाम रहा कि आज सरकारी विद्यालयों में 82 लाख के करीब नामांकन हो गया है। यानी पिछले चार सालों में नामांकन में 22 लाख की वृद्धि हुई है।

1 लाख 46 हजार बालिकाओं को गार्गी पुरस्कार
शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि पिछले चार वर्ष शिक्षा में बेहतरीन विकास के रहे हैं। राष्ट्रीय सर्वेक्षण में और ‘असर‘ की रिर्पोट में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में राजस्थान जहां पहले नम्बर पर रहा है वहीं भारत सरकार द्वारा ‘स्वच्छ विद्यालय‘ योजना के अंतर्गत भी देशभर में राजस्थान आंध्रप्रदेश और तमिलनाडू के बाद तीसरे स्थान पर रहा।  सरकारी विद्यालयों का परीक्षा परिणाम निजी विद्यालयों से आगे निकला। बालिका शिक्षा में राजस्थान अग्रणी हुआ और 75 प्रतिशत से अधिक अंक लाने पर मिलने वाले गार्गी पुरस्कार की संख्या में भी इन प्रयासों के कारण तीन गुना तक वृद्धि हुई। आज 1 लाख 46 हजार बालिकाओं को यह पुरस्कार दिया जा रहा है।

450 करोड़ के हुए विकास कार्य
 देवनानी ने कहा कि प्रदेश के विद्यालयों में आधारभूत सुविधाओं के विकास के अंतर्गत पहली बार विद्यालयों में 450 करोड़ के विकास कार्य करवाए गए हैं। हमने नाबार्ड से ऋण लेकर भी विद्यालयों के विकास के कार्य प्राथमिकता से करवाए हैं।
शिक्षा राज्य मंत्री ने विद्यालयों मे अपनाए गए नवाचारों की चर्चा करते हुए कहा कि पिछले चार वर्षोें में बीएड,एसटीसी इन्र्टनशिप के तहत विद्यालयों में प्रशिक्षणरत अभ्यर्थियों की सेवाएं पढ़ाने के लिए ली गई। निजी विद्यालयों की मान्यता की ऑनलाई प्रक्रिया प्रारंभ की गई। शाला दर्शन और शाला दर्पणक के अंतर्गत शिक्षा विभाग को संपूर्ण रूप में ऑनलाईन किया गया। ई-ज्ञान पोर्टल के जरिए विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तकें और तमाम शिक्षा सबंधित ज्ञानवद्र्धक जानकारियां ऑनलाईन उपलब्ध कराई गई। संस्कृत शिक्षा में पदों को बढ़ाया। पाठ्यक्रम में योग, सूर्य नमस्कार के साथ ही 200 से अधिक महापुरूषों, वीर-वीरांगनाओं के चरित्रों के प्रेरक पाठ सम्मिलित किए। उद्देश्य यही रहा है कि विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास हो सके।

सुदृढ़ मोनिटरिंग के लिए पंचायत एलिमेंट्री एजुकेशन ऑफिसर 
 देवनानी ने कहा कि प्रारंभिक शिक्षा में पंचायत स्तर पर सुदृढ़ मोनिटरिंग के लिए पंचायत एलिमेंट्री एजुकेशन ऑफिसर  लगाए गए हैं। देशभर में स्टार्फिंग पैटर्न की सराहना हुई है। चरणबद्ध तरीके से प्रदेश में प्री-प्राईमरी स्कूल की शुरूआत। इसके तहत 11500 आंगनबाड़ी केन्द्रों को स्कूलों से एकीकृत किया गया। विद्यालयों के विकास के लिए विद्यालय सलाहकार समितियों का गठन किया गया। मातृशक्ति से शैक्षिक उन्नयन के लिए पहली बार ‘मदर-टीचर्स‘ बैठकों का आयोजन किया गया।

5 वीं और 8 वीं की परीक्षाएं प्रारंभ कराने की पहल
उन्होंने कहा कि प्रदेश में 5 वीं और 8 वीं की परीक्षाएं प्रारंभ कराने की पहल की गई। व्यावसायिक शिक्षा की शुरूआत हमने की। बालिकाओं को 11.3 लाख साईकिलों का वितरण किया गया। 98 हजार लैपटॉप मेधावी छात्र-छात्राओं को दिए गए। इसके साथ 5 लाख बालिकाओं को आत्म सुरक्षा प्रशिक्षण प्रदान किया गया। दृष्टिहीन विद्यार्थियों को एण्ड्रॉयड मोबाईल फोन वितरित किए। राज्य की 43 हजार 672 स्कूलों में अक्षय पेटिका रखवाई। विद्यालय विकास में सामाजिक भागीदारी सुविकसित करने के लिए अब तक इन पेटिकाओं में 4 करोड़ के लगभग राशि एकत्र हुई है। बालिकाओं के शैक्षिक प्रोत्साहन के लिए शारदा बालिका छात्रावासों की स्थापना की हमने पहल की है।  आज 186 बालिका छात्रावासों से 181 पूर्ण रूप से क्रियाशील हैं। इनमें इस समय  13 हजार 387 बालिकाए नामांकित है।

स्मार्ट वर्चुअल क्लासरूमों के जरिए मेडिकल-इंजीनियरिंग कोचिंग 
 देवनानी ने कहा कि कक्षा 6 से 11 तक की बालिकाओं को ट्रांसपोर्ट वाउचर सुविधा प्रदान की जा रही है।  क्लिक योजना के तहत विद्यार्थियों को कम्प्यूटर प्रशिक्षण से 716 स्कूलों के 63 हजार 219 विद्यार्थी लाभान्वित हो रहे हैं।  उन्होंने कहा कि  770 राजकीय विद्यालयों तथा 11 जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थाओं मे ंस्मार्ट वर्चुअल क्लासरूमों के माध्यम से राज्य के दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित विद्यालयों के विद्यार्थियों को मेडिकल एवं इंजीनियरिंग परीक्षाओं की गुणवत्तापूर्ण निःशुल्क कोचिंग सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ‘एलन’ इन्स्टीट्यूट से एमओयू किया गया। 186 पिछड़े क्षेत्रों में स्वामी विवेकानंद विद्यालयों के जरिए अंग्रेजी माध्यम से अध्यापन की पहल। 55 प्रतिशत सीट बालिकाओं के लिये हमने आरक्षित किए।

शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि विकास सतत प्रक्रिया है। इसी के तहत हम शिक्षा क्षेत्र में मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में निरंतर राजस्थान को शिक्षा क्षेत्र में अग्रणी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि राजस्थान आने वाले वर्षों में देश का प्रमुख शिक्षा राज्य बनकर अपनी विशिष्ट पहचान बनाए। इस अवसर पर शिक्षा विभाग के शासन सचिव नरेशपाल गंगवार, रमसा की आयुक्त श्रीमती आनन्दी, विशिष्ट शासन सचिव  अशफाक हुसैन, निदेशक माध्यमिक शिक्षा  नथमल डीडेल सहित शिक्षा विभाग के अधिकारी भी उपस्थित थे।

बिहार में अब धान खरीद घोटाला

बिहार में इन दिनों घोटालों का दौर चल रहा है. सरकारी योजनाओं में लगातार घोटालों का पर्दाफाश हो रहा है. रिजल्ट घोटाला, तटबंध घोटाला, सृजन घोटाला, शौचालय घोटाला और अब धान खरीद घोटाला. इन घोटाले के सामने आने के बाद कार्रवाई भी चल रही है. लोग गिरफ्तार हो रहे हैं. जांच के लिए विशेष टीमों का गठन हुआ है, लेकिन घोटालों का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. हाल में सामने आया धान घोटाला, बिल्कुल चारा घोटाले की तर्ज पर हुआ है. चारा घोटाले में भी स्कूटर और साइकिल पर चारा ढोने की बात सामने आयी थी और फर्जी बिल के सहारे दवा की सप्लाइ की गयी थी. धान घोटाले में फर्जी राइस मिल के जरिये बड़ा खेल खेलने की बात सामने आ रही है. बताया जा रहा है सरकार को चूना लगाकर फर्जी राइस मिल और नकली ट्रांसपोर्टर के नाम पर दूसरे चरण के धान घोटाले में 600 करोड़ रुपये से ऊपर का वारा न्यारा किया गया है. इस घोटाले ने सरकारी महकमें में हड़कंप मचा दिया है. एक साल पूर्व जब विधानसभा में इस बात को लेकर हंगामा मचा था, तब पटना हाइकोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए इस घोटाले की जांच को सीबीआइ को सौंपने के आदेश दिये थे.


मामला सामने आने के बाद हाइकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआइ ने कुछ कारण बताते हुए मामले की जांच करने से इनकार कर दिया. उसके बाद कोर्ट ने इसकी जांच का जिम्मा विजिलेंस विभाग को सौंप दिया. जांच में यह बात खुलकर सामने आयी कि कुछ अधिकारियों ने मिलीभगत करके सरकार को चूना लगाते हुए लगभग 600 करोड़ रुपये का घोटाला किया. संभावना यह जताई जा रही है कि यह घोटाला चार हजार करोड़ से ऊपर तक भी जा सकता है. मामला शुरू होता है, मुजफ्फरपुर से जहां के अधिकारियों ने बिहार सरकार को यह सूचना दी कि लगातार हो रही बारिश की वजह से धान पूरी तरह बर्बादी के कगार पर है. उन्होंने यह भी सूचना दी कि ऐसे धान से चावल निकालना बिहार के राइस मिल के लिए कठिन काम है. अतः इसे पश्चिम बंगाल में भेजा जाये. पश्चिम बंगाल भेजने से इसी धान का ब्वायल चावल बनाया जा सकता है, जिसे उसना भी कहा जाता है. सरकार को यह प्रस्ताव उस समय बेहतर लगा और सरकार ने ऐसा करने की अनुमति दे दी. धान को पश्चिम बंगाल भेजने के लिए सरकार ने अनुमति प्रदान कर दिया और पत्र भी जारी कर दिये.



यह निर्देश दरभंगा, सुपौल, मधेपुरा, पूर्णिया, सहरसा, कटिहार, अररिया, सहित 10 जिले के डीएम को भी निर्देश दिया कि मुजफ्फरपुर जिले के अधिकारियों से संपर्क कर बारिश में भींग चुके धान को पश्चिम बंगाल भेजें. पश्चिम बंगाल में भींगे हुए धान भेजने के नाम पर फर्जी ढुलाई हुई और करोड़ों रुपये ट्रक भाड़े के रूप में भुगतान किया गया. जब, धान खरीद घोटाले का मामला भाजपा नेताओं ने खासकर वर्तमान उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने जोर-शोर से उठाया. उस वक्त भाजपा बिहार सरकार में हिस्सा नहीं थी. उसके बाद यह घोटाला सामने आया और बंगाल में भेजे गये भींगे धान की खोज शुरू हुई. उसके बाद जांच में पता चला कि 17 लाख मीट्रिक टन धान के बदले पश्चिम बंगाल से सौ ग्राम चावल भी नहीं आया, लेकिन धान भेजने के लिए करोड़ों रुपये ट्रक भाड़े का भुगतान किया गया. जांच में सामने आये सरकारी कागज के अवलोक से पता चल रहा है कि मुजफ्फरपुर सहित दस जिलों से रायगंज फुडग्रेन प्राइवेट लिमिटेड, उत्तर दिनाजपुर, बाबा राइस मिल, उत्तर दिनाजपुर  मेसर्स अनिकेत मनीष राइस मिल करन दिग्घी, उत्तर दिनाजपुर. मेसर्स रायगंज फूंड ग्रेन, शीतग्राम पानीशाला रायगंज, उत्तर दिनाजपुर और मेसर्स मनोकामना राईस मिल खालपास पश्चिम बंगाल को धान भेजा गया था.

बुधवार, 22 नवंबर 2017

हम अंग्रेजो की बनाई शिक्षा प्राप्त करते है -डॉ. सुब्रमण्यन स्वामी सांसद

 जयपुर डायलाॅग्स फोरम के अध्यक्ष सुनील कोठारी ने बताया कि आज जयपुर डायलाॅग्स के तीसरे दिन "भारत की एकता एवं विभाजन के तत्व" विषय पर चर्चा हुई। वर्ल्ड ट्रेड पार्क में आयोजित तीन दिवसीय जयपुर डायलाॅग्स कार्यक्रम में आये मेहमानों व विद्वानों ने अपने विचार रखे। आज जयपुर डायलॉग्स कार्यक्रम के समापन सत्र में डॉ. सुब्रमण्यन स्वामी सांसद और राष्ट्रवादी कार्यकर्ता, तारेक फतेह लेखक, जे. नंदकुमार राष्ट्रीय संयोजक प्रज्ञा प्रवाह, शैफाली वेद्य सामाजिक मीडिया विशेषज्ञ, राघवन जगन्नाथन चीफ एडिटर स्वराज मैगजीन, "भारत की एकता एवं विभाजन के तत्व" विषय पर संवाद किया। जयपुर डायलॉग्स के तीन दिवसीय कार्यक्रम का आज समापन हुआ।
डॉ. सुब्रमण्यन स्वामी और जे. नंदकुमार ने कार्यक्रम के दौरान पत्रकारो से वार्ता की। और पत्रकारों से रूबरू होकर विभिन्न मुद्दों पर बात की।

कार्यक्रम में जयपुर डायलाॅग्स फोरम के अध्यक्ष सुनील कोठारी, सचिव पंकज जोशी, सयुक्त सचिव राजकुमार शर्मा, सीओओ प्रकाश टेकवानी सहित ग्रहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, विधायक घनश्याम तिवारी, आईएएस संजय शिक्षित मौजूद रहें।

डॉ. सुब्रमण्यन स्वामी सांसद और राष्ट्रवादी कार्यकर्ता पत्रकारों से रूबरू हुए। स्वामी ने कहा- हम अंग्रेजो की बनाई शिक्षा प्राप्त करते है। हमे ऐसी पुस्तक तैयार करनी चाहिए जो हमारा सही इतिहास बताये। कश्मीर से कन्याकुमारी तक सभी धर्मो ब्राह्मण, क्षत्रिय, वेश्य, शुद्र, हिन्दू मुस्लिम सबका डीएनए एक है। हमारे पूर्वज हिन्दू थे ये मुस्लिमो को भी मानना चाहिए। चाणक्य के अनुसार देश को अनेक जनपदों में बाटना चाहिए। संविधान में धारा 351 में लिखा है कि हिंदी मातृ भाषा है। 50 साल में हिंदी संस्कृत भाषा बन जायेगी।
स्वामी ने पद्मावती फिल्म पर टिप्पणी करते हुए कहा- पद्मावती फिल्म की मंशा देश के इतिहास से छेड़छाड़ करना है। कुछ लोग पैसा देकर ऐसी फिल्में बनवाते है जिनमे हिन्दू भावनाओं का हनन हो। पीके फिल्म में भी ऐसी ही साजिश थी। ऐसा गलत है। फिल्म में हिन्दुओ के प्रति क्षीण भावना दिखाने की कोशिश की गई है। हमारे देश में महिलाओ का विशेष स्थान है। सभी को हिंदुत्व के गुण और संस्कार मानने चाहिए। ज्ञान और त्याग हमारे हिंदुत्व का हिस्सा है। वर्ण शक्ति का विकेंद्रीकरण था। हिन्दू संस्कृति अटूट है। भारत देश कभी नही टूटेगा। इसका विस्तार होगा। दूसरे धर्म के लोगों को भी हम सम्मान देते है।पहले भारत सोने की चिड़िया था और अंग्रेज विभाजन करके चले गए।

स्वामी ने अयोध्या राम मंदिर मामले पर कहा- राम मंदिर अगले साल दीवाली 2018 तक मंदिर का काम शुरू हो जायेगा। राम मंदिर और बावरी मज्जिद विवाद को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को कहा है। हाईकोर्ट द्वारा करवाई गई तीन साल की जाँच रिपोर्ट में सामने आया कि मज्जिद के नीचे प्राचीन मंदिर का ढाँचा आज भी मौजूद है। कोर्ट ने माना है कि मज्जिद मुस्लिम धर्म के लिए अनिवार्य नही है। यह जमीन हिन्दुओ को राम मंदिर बनाने के लिए देनी चाहिए। मज्जिद सिर्फ नमाज पढ़ने की जगह है और जहा नमाज की जरूरत हो वहा मज्जिद बना सकते है। मज्जिद को तोड़ा जा सकता है। अयोध्या में 27 मज्जिदे है। मुस्लिम इलाके में मज्जिद बनाई जा सकती है। 5 दिसम्बर को इस मामले पर सुनवाई है मार्च 2018 तक सारी बहस खत्म हो जायेगी। जुलाई तक जजमेंट आ जायेगे। कोर्ट का फैसला आने पर राममंदिर का काम चालू हो जायेगा। दीवाली तक आयोध्या आने की तैयारी करे, राममंदिर बनना शुरू हो जायेगा। मुस्लिम समाज हमारे पक्ष में है।
और कश्मीरी पंडित भी वापस लौटेंगे।
लवजिहात लव नही है यह लवजिहात के जरिये एक आईएसआई का षडयन्त्र है।

जे. नंदकुमार राष्ट्रीय संयोजक प्रज्ञा प्रवाह ने कहा- पूरे भारत में राजनितिक, शारीरिक से युद्ध चल रहा है। भारत एक नही था और अब भी नही है। हमे सुनहरा मौका 1947 में मिला था जब हमे आजादी मिली। राजनैतिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक लोगो को मिलकर भारत को एक करने की आवश्यकता है। भारत का विखंडन करने वाले लोगो को भारत को आगे ले जाने के लिए समझना पड़ेगा। भारत एक राष्ट्र है, हम सब एक है। हमे बेहतर भारत बनाना चाहिए। भारत को अखंड बनाने के लिए लक्ष्य बनाकर काम करना होगा। साथ ही शिक्षा प्रणाली को भी ठीक करने की आवश्यकता है।
नंदकुमार ने कश्मीर पर चर्चा करते हुए कहा- कश्मीर के बिना भारत अपूर्ण है। कश्मीर भारत का हिस्सा है। शिक्षा सिस्टम में स्वामी विवेकानंद और डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को इग्नोर नही करना चाहिए। हमे देशी भाषा हिंदी को महत्व देना चाहिए। कुछ लोग जानबूझकर भारत की एकता के खिलाफ काम करते है। हिंदुत्व संस्कृति का भाव सभी में लाना जरुरी है। राष्ट्रवाद को मजबूत करने के लिए शिक्षा जरुरी है। हमे मिलकर काम करना चाहिए।

बुधवार, 15 नवंबर 2017

बिहार का लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम प्रभावी सिद्ध हो रहा है

05 जून 2016 से आम लोगों की शिकायतों की सुनवाई और समाधान के लिए लागू किए गए बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम प्रभावी सिद्ध हो रहा है। कार्यालयों में छोटे-छोटे कामों को कराने के लिए लोगों को जहां महीनों चक्कर काटने पड़ते थे, वहीं अब लोगों का काम तुरत हो जा रहा है।

इस अधिनियम के द्वारा लोक शिकायत केंद्र पर जाकर अपनी समस्या का समाधान करने के लिए आम आदमी को एक बड़ा अधिकार मिल गया है। पेयजल, स्वच्छता, आवास, छात्रवृत्ति, पोशाक, शिक्षा, स्वास्थ्य, ज़मीन से जुड़े मामले, राशन, अतिक्रमण एवं अन्य कल्याणकारी कार्यक्रमों का लाभ पाने का आसान जरिया मिल गया है। समाज के अंतिम तबके के रोजमर्रा की कठिनाइयों एवं जरूरत की सेवाओं को इसमें शामिल किया गया है।

कैसे करता है काम, 
इस अधिनियम की विशेषता है कि दायर की गयी शिकायत पर शिकायतकर्ता का भी पक्ष सुना जाता है। वैसे पदाधिकारी एवं जिनके द्वारा उठायी गयी समस्या या दायर की गयी शिकायत के समाधान का दायित्व है, को आमने-सामने बैठाकर सुनवाई की जाती है। इससे आम नागरिकों का सशक्तिकरण हुआ है एवं शासन में उन्हें अपनी भागीदारी का एहसास हो रहा है।



किसी भी शिकायतों की सुनवाई का पहले कोई स्वतंत्र ढांचा नहीं था। इसके निवारण की कोई गारंटी नहीं थी। इस अधिनियम के द्वारा सरकार ने आम लोगों के लिए एक मजबूत व्यवस्था कायम की है। आम लोगों की शिकायतों की सुनवाई एवं समाधान के लिए लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी नियुक्त किए गए हैं, जो इसके लिए समर्पित हों। पूरे तंत्र को इसके लिए व्यवस्थित किया गया है।


अबतक लाखों परिवादों का किया गया है निष्पादन 

अभी तक 2,31,640 दायर परिवादों में 2,10,733 परिवादों का सफलता पूर्वक निष्पादन किया जा चुका है।वास्तविकता में लोगों के इस कानून के प्रति जागरुक होने से लोगों की समस्याओं के समाधान में तेजी आ गई है। इस अधिनियम के तहत दायर किए गए परिवादों एवं उसपर की गयी कार्रवाईयों का पूरा लेखा-जोखा ऑनलाइन उपलब्ध रहता है।



शिकायतकर्ता कहीं से भी उनके आवेदन पत्र पर की गयी कार्रवाई एवं पारित निर्णय की जानकारी प्राप्त कर सकता है। जिन पदाधिकारियों को शिकायतों की सुनवाई एवं समाधान करना है,अगर उनके द्वारा ऐसा नहीं किया गया तो उन गैर जवाबदेह पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई भी की जा रही है।



अबतक ऐसे ग्यारह लोक प्राधिकारों के विरूद्ध अनुशासनिक कार्रवाई प्रारंभ की गयी है, जबकि 118 लोक प्राधिकारों पर 3.81 लाख रूपये का आर्थिक दंड भी किया गया है।



मुख्यमंत्री के लोक संवाद कार्यक्रम

मुख्यमंत्री के लोक संवाद कार्यक्रम में लोक प्राधिकार की अनुपस्थिति के मामले में भी त्वरित की जाती है। प्राप्त निर्देश के आलोक में सुनवाई में अनुपस्थित रहने वाले लोक प्राधिकारों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई भी की जा रही है। सुनवाईयों को प्रभावी बनाते हुए उनकी संख्या को भी कम किया जा रहा है। इससे एक ऐसी व्यवस्था कायम की गयी है जिसका उद्देश्य आम लोगों को सहायता प्रदान करना है।



बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम 

बिहार सरकार की एक अन्य महत्वाकांक्षी कार्यक्रम बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम है। इसका भी लोगों को बड़ा लाभ प्राप्त हो रहा है, जिसमें नियत समय सीमा में लोगों को जनोपयोगी सेवाएं उपलब्ध करायी जाती है।



लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम के तहत 17 करोड़ से अधिक सेवाएं अबतक प्रदान की जा चुकी हैं। दलाल एवं बिचौलियों को इस तंत्र से बाहर रखने के लिए जिला पदाधिकारियों के स्तर पर नियमित तौर पर औचक निरीक्षण एवं छापेमारी करायी जाती है।   



नालंदा के बंगाली प्रसाद अमर हुए

 मरने के बाद भी देखती रहेगी बंगाली प्रसाद सिंह की आंखें

-आईजीआईएमएस में आंख, तो पावापुरी मेडिकल कॉलेज में किया देहदान
-सूबे के दूसरे देहदान  के समय अस्पताल तथा परिवार के सदस्यगण थे मौजूद 
प्रसाद चाहते थे कि शरीर समाज के काम आये
कुछ लोग जीते जी तो समाज को दिशा देने का काम करते ही हैं. मरने के बाद भी  अपनी अमिट छाप छोड़ जाते हैं. ऐसा ही कुछ समाजसेवी बंगाली प्रसाद सिंह के साथ हुआ. अपने जवानी के शुरुआती दिनों में समाजसेवा का काम करनेवाले पैठना गांव के स्व बंगाली प्रसाद सिंह आंख और देहदान करने के बाद मर कर भी अमर हो गये. पटना के आईजीआईएमएस में दान की गयी, उनकी आंखों से दो नेत्रहीन दुनिया को देख सकेंगे. वहीं, शरीर नालंदा के पावापुरी मेडिकल छात्रों के परीक्षण में काम आयेगा.

नालंदा जिले के वेना थाना अंतर्गत पैठना गांव निवासी बंगाली प्रसाद सिंह (92) मुख्यमंत्री के सहयोगी व अपने परिवार के समक्ष मरणोपरांत नेत्रदान  की इच्छा  जताते हुए फार्म भरा था. 92 वर्ष की उम्र पूरी कर सोमवार को लंबी बीमारी  के बाद उनका निधन हो गया. उनके परिवार ने नेत्रदान की अंतिम  इच्छा पूरी करने के लिए नालंदा डीएम से संपर्क किया. इसके बाद आईजीआईएमएस  के आई बैंक व क्षेत्रीय चक्षु संस्थान के विभागाध्यक्ष डॉ विभूति प्रसाद  सिन्हा की टीम पटना से गयी.


पुत्र अशोक कुमार सिन्हा ने बताया कि पिताजी चाहते थे कि जब वह दुनिया से जाएं, तो शरीर समाज के काम आये. सोमवार को उनके निधन के बाद पावापुरी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को सूचना दी गयी.

इसके पहले पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के चिकित्सकों की टीम ने रात में ही नेत्र सुरक्षित कर लिया था. मंगलवार को पावापुरी के मेडिकल काॅलेज के एनाटॉमी विभाग को पार्थिव शरीर सौंप दी गयी. पावापुरी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डाॅ जेके दास, अधीक्षक डॉ ज्ञानभूषण, डॉ अशोक कुमार सिंह, डॉ सर्फुद्दीन अहमद, डॉ अरुण आदि ने श्रद्धांजलि अर्पित की.

इस दौरान उनके पुत्र अजीत प्रसाद, संजय कुमार  उर्फ पप्पू भी मौजूद थे. मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग में पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद चिकित्सा शिक्षा के लिए रखा गया. प्राचार्य डॉ जेके दास ने कहा कि समाज में देहदान के प्रति लोगों में जागरूकता का संचार हो रहा है, यही कारण है कि कुछ लोग जीवित रहते देहदान की इच्छा व्यक्त करते हैं, जिसका सम्मान उनके परिवारवाले भी कर रहे हैं.
क्यों जरूरी है देहदान, क्या है प्रक्रिया?

मेडिकल काॅलेज के अधीक्षक डॉ ज्ञान भूषण बताते हैं कि ऐसे दान से परीक्षण में मदद मिलती है. मेडिकल छात्र बीमारियां व उसके उपचार का पता लगाते हैं. शरीर की हड्डी, नस, चमड़ी, मांस, नाक, कान, किडनी, हृदय व लिवर की मर्ज का पता लगाने के साथ उसका इलाज ढूंढ़ा जाता है.

नयी दवाओं का प्रयोग भी पार्थिव शरीर पर होता है. ऑपरेशन की नयी विधि का प्रयोग भी इस पर होता है. देहदान व नेत्रदान के लिए संबंधित व्यक्ति को मेडिकल काॅलेज को शपथपत्र देना होता है.  इसमें परिवार के सदस्यों की सहमति अनिवार्य है. मृत्यु की सूचना घर के सदस्यों को काॅलेज प्रशासन को देनी होती है.  अगर किसी व्यक्ति ने देहदान का शपथपत्र नहीं भरा है और उसकी यह अंतिम इच्छा थी, तो दान कराया जा सकता है.

इंदिरा और फ़िरोज़ को आप भूल तो नहीं गए हैं?

बीबीसी हिंदी न्यूज 
इंदिरा गांधी और उनके पति फिरोज़ गांधी के बीच रिश्तों के तार काफी उलझे हुए थे. लेकिन इंदिरा ने फिरोज़ की मौत के बाद एक ख़त में लिखा कि जब भी उन्हें फिरोज़ की ज़रूरत महसूस हुई वो उन्हें साथ खड़े दिखे.

दोनों के बीच तनाव तब शुरू हुआ जब इंदिरा अपने दोनों बच्चों को लेकर लखनऊ स्थित अपना घर छोड़ कर पिता के घर आनंद भवन आ गईं.

शायद ये संयोग नहीं था लेकिन इसी साल यानी 1955 में फिरोज़ ने कांग्रेस पार्टी के भीतर भ्रष्टाचार विरोधी अभियान शुरू किया. इंदिरा गांधी इसी साल पार्टी की वर्किंग कमेटी और कंद्रीय चुनाव समिति सदस्य बनी थीं.

'वो हिम्मतवाली नेता जिनका नाम था इंदिरा गांधी'

उन दिनों संसद में कांग्रेस का ही वर्चस्व था. विपक्षी पार्टियां ना केवल छोटी थीं बल्कि बेहद कमज़ोर भी थीं. इस कारण नए बने भारतीय गणतंत्र में एक तरह का खालीपन था.

हालांकि फ़िरोज़ सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े परिवार के करीब थे, वो विपक्ष के अनौपचारिक नेता और इस युवा देश के पहले व्हिसलब्लोअर बन गए थे.

उन्होंने बड़ी सावधानी से भ्रष्ट लोगों का पर्दाफ़ाश किया जिस कारण कईयों को जेल जाना पड़ा, बीमा उद्योग का राष्ट्रीयकरण किया गया और वित्त मंत्री को इस्तीफ़ा तक देना पड़ा.

फ़िरोज गांधी को आप भूल तो नहीं गए हैं?

जब फिरोज़ ने इंदिरा को फासीवादी कहा


फ़िरोज़ के ससुर जवाहरलाल नेहरू उनसे खुश नहीं थे और इंदिरा गांधी ने भी कभी संसद में फिरोज़ के महत्वपूर्ण काम की तारीफ़ नहीं की.

फिरोज़ पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अपनी पत्नी के ऑथेरीटेटिव प्रवृत्ति को पहचान लिया था.

साल 1959 में जब इंदिरा गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष थीं उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि केरल में चुनी हुई पहली कम्यूनिस्ट सरकार को पलट कर वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जाए.

आनंद भवन में नाश्ते की मेज़ पर फिरोज़ ने इसके लिए इंदिरा को फ़ासीवादी कहा. उस वक्त नेहरू भी वहीं मौजूद थे. इसके बाद एक स्पीच में उन्होंने लगभग आपातकाल के संकेत दे दिए थे.

फ़िरोज़ गांधी अभिव्यक्ति की आज़ादी के बड़े समर्थक थे. उस दौर में संसद के भीतर कुछ भी कहा जा सकता था लेकिन अगर किसी पत्रकार ने इसके बारे में कुछ कहा या लिखा तो उन्हें इसकी सज़ा दी जा सकती थी.

इस मुश्किल को ख़त्म करने के लिए फिरोज़ ने एक प्राइवेट बिल पेश किया. ये बिल बाद में कानून बना जिसे फिरोज़ गांधी प्रेस लॉ के नाम से जाना जाता है. इस कानून के बनने की कहानी बेहद दिलचस्प है.

फिरोज़ गांधी की मौत के पंद्रह साल बाद इंदिरा ने आपातकाल की घोषणा की और अपने पति के बनाए प्रेस लॉ को एक तरह से कचरे के डिब्बे में फेंक दिया.

बाद में जनता सरकार ने इस कानून को फिर से लागू किया और आज हम दो टेलीवज़न चैनल के ज़रिए भारतीय संसद की पूरी कार्यवाही देख सकते हैं. इसके साथ फिरोज़ गांधी की कोशिश हमेशा के लिए अमर हो गई.

भारतीय राजनेताओं का 'गुप्त जीवन'

इंदिरा गांधी: देशभक्त, लेकिन 'तानाशाह'

अलग-अलग थे रजनीतिक विचार


इंदिरा गांधी अपने बेटों राजीव और संजय गांधी के साथ
फिरोज़ और इंदिरा लगभग सभी बात पर जिरह करते थे. बच्चों की परवरिश पर दोनों की राय अलग-अलग थी. राजनीति के बारे में भी दोनों के अलग-अलग विचार थे.

इंदिरा की करीबी रह चुकी मेरी शेलवनकर ने मुझे बताया था, "इंदिरा और मैं लगभग हर बात पर चर्चा करते थे, ये चर्चा दोस्ताना स्तर होती थी. मुझे लगता है कि हर व्यक्ति को अपनी बात रखने की आज़ादी होनी चाहिए लेकिन वो मदर इंडिया की छवि से काफी प्रेरित थीं. उन्हें अपने हाथ में पूरी ताकत चाहिए थी. वो भारत के संघीय ढ़ांचे के ख़िलाफ़ थीं. उनका विचार था कि भारत संघीय राष्ट्र बनने के लिए अभी पूरी तरह विकसित नहीं हुआ है."

उन्होंने बताया, "फिरोज़ के विचार इससे अलग थे. 1950 के दशक के दौरान नई दिल्ली में मैं फिरोज़ से केवल दो या तीन बार ही मिली थी. मैं कभी उनके करीब नहीं आ पाई क्योंकि मुझे लगा कि इंदिरा ऐसा नहीं चाहतीं. लेकिन इंदिरा के साथ हुई मेरी चर्चाओं से मैं समझती हूं कि फिरोज़ भारत के संघीय ढ़ांचे के समर्थक थे और ताकत के केंद्रीकरण के ख़िलाफ़ थे."

ये स्वाभाविक है कि फिरोज़ गांधी के गणतांत्रिक विरासत को खत्म करने में इंदिरा गांधी कामयाब रहीं.

जब जेपी ने इंदिरा से पूछा, तुम्हारा खर्चा कैसे चलेगा?

जब भूपेश ने कहा था...'तो इंदिरा गांधी के बेटे के प्राण नहीं जाते'

वो बात जो दोनों में आम थी
इंदिरा गांधी, जवाहरलाल नेहरू


लेकिन कम से कम एक महत्वपूर्ण चीज़ थी जो दोनों में आम थी. वो था बागवानी के प्रति दोनों का प्यार.

अहमदनगर फोर्ट जेल में बंद अपने पिता को लिखी एक चिट्ठी में इंदिरा ने बागवानी के लिए फिरोज़ की मेहनत की तारीफ की थी. 22 नवंबर 1943 को आनंद भवन से लिखे इस ख़त में उन्होंने कहा, "मैं अभी-अभी बगीचे से आ रही हूं. कुछ महीनों पहले तक ये घास-फूस का जंगल था. लेकिन अब बगीचे की घास को काट दिया गया है. फूलों के नन्हे बीजों को पंक्तियों में लगाया गया है जो बेहद सुंदर दिख रहा है. ये सब फिरोज़ के कारण ही संभव हो सका है. अगर वो बगीचे की ज़िम्मेदारी नहीं लेते तो मुझे नहीं पता कि मैं क्या करती. मैं इतना तो जानती हूं कि मैं कुछ भी नहीं कर पाती."

फिरोज गांधी की बेवफाई के बारे में भी अफवाहें फैली और कुछ लोगों ने इंदिरा गांधी के साथ उनके रिश्तों के बारे में कहना शुरू कर दिया. लेकिन भारत के विकास के लिए फिरोज़ और इंदिरा की ज़रूरत को देखते हुए ये सब गॉसिप कभी प्रासंगिक नहीं लगा.

वो पूरी तरह से एक-दूसरे के साथ बंधे थे और प्लस-माइनस रिलेशनशिप में उलझे हुए थे.

ऐसा लगता है कि फिरोज़ ने केरल के मामले में जिस तरह की प्रतिक्रिया दी थी वो इंदिरा के लिए चेतावनी की तरह थी. उन्होंने अपना समय पूरा होने से पहले पार्टी के अध्यक्ष के पद से त्यागपत्र दे दिया.

इंदिरा की जान बचाने के लिए चढ़ा था 80 बोतल ख़ून

1984: जब दिल्ली में 'बड़ा पेड़ गिरा और हिली धरती...'

फिरोज़ और इंदिरा अपने दोनों बेटों के साथ एक महीने की छुट्टियां बिताने कश्मीर चले गए.

राजीव गांधी के अनुसार उनके माता-पिता के बीच जो भी मतभेद थे वो इस दौरान भुला दिए गए. इसके बाद ही दिल का दौरा पड़ने से फिरोज़ गांधी की मौत हो गई.

(बर्टिल फाल्क स्वीडन में रहते हैं. उन्होंने फिरोज़ गांधी पर किताब लिखी है जो अब तक उन पर लिखी एकमात्र जीवनी है.)

मंगलवार, 14 नवंबर 2017

कभी संगीत की नगरी हुआ करता था पटना ,, साहित्यकार निवेदिता की कलम से

बिहार राज्य की राजधानी पटना कभी संगीत की नगरी हुआ करता था. यहां देश के नामी-गिरामी संगीतज्ञ आते थे और अपना प्रदर्शन करते थे. किस तरह एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाला प्रदेश आज काफी पिछड़ गया है और पटना से जुड़ी तमाम बातें 


पटना मेरे लिए ईट और गारे मिट्टी से बना एक शहर नहीं है . पटना मेरे लिए धड़कता हुआ दिल है. जिसके सीने में जाने कितने राज दफ़न हैं. मेरे सपने,  मेरी आवारगी, मेरी मुहब्बत और मेरे संघर्षों के दिनों की यादों से लबरेज़ ये शहर हमारा ही तो है. इसी शहर ने जिंदगी को देखना सिखाया. इसी शहर ने दर्द दिये और दर्द पर मरहम लगाया. जब कभी मेरा मन उचाट होता मैं गंगा के किनारे बैठ जाती. दुनिया के शोर से परे, अपनी रौ में बहतीरहती. गर्मी के दिनों में पानी की खोज में हिमालय के परिंदे जाने कितने देशों से उड़कर आते . धोबन चिड़िया, पहाड़ी मैना, लाल चोंच वाला गुल, नीले रंग  के नूरपोश सब आते . उनदिनों गंगा का पानी इतना मीठा था कि परिंदे दूर दूर से पानी पीने आते. पटना ऐसा ही है. इसकी संस्कृति, इसका इतिहास अलग-अलग रंगों से भरा हुआ .

जो लोग पटना का इतिहास जानते हैं उन्हें पता है की पटना पर बंगालियों , सिखों . मुसलमानों , जैन , बुद्ध और ईसाई संस्कृति का गहरा असर रहा है. शुरू में लोग पटना को अजिमाबाद के रूप में जानते थे.  मुगल बादशाह औरंगजेब ने अपने प्रिय पोते मुहम्मद अज़ीम के अनुरोध पर 1704 में, शहर का नाम अजीमाबाद कर दिया,पर इस कालखंड में नाम के अतिरिक्त पटना में कुछ विशेष बदलाव नहीं आया. अज़ीम उस समय पटना का सूबेदार था. मुगल साम्राज्य के पतन के साथ ही पटना बंगाल के नबाबों के शासनाधीन हो गया..1912, में बंगाल के विभाजन के बाद, पटना उड़ीसा तथा बिहार की राजधानी  बना.

पटना की साझी सांस्कृतिक विरासत देखना हो तो बेगू हज्जाम की मस्जिद  'पत्थर की मस्जिद -  शेरशाह की मस्जिद,पादरी की हवेली  और सबसे  पुराना  हरमंदिर साहेब, (पटना सिटी )क़िला हाउस (जालान हाउस)   ) महावीर मंदिर को देखें . हम जानते है शहर सिर्फ इमारतों से नहीं बनता . शहर तो लोगों से बनता है . आप अगर किसी शहर को जानना चाहते हैं तो सबसे आसान तरीका है ये जानना कि उसमें  रहने वाले लोग किस तरह काम करते हैं, किस तरह प्यार और मुहब्बत करते हैं और किस तरह मरते हैं ! हमारे लोग खूब मेहनत करते हैं , फसलें उगाते हैं , इमारतें बनाते हैं , छोटे छोटे कारखानों में काम करते हैं फिर भी हम पिछड़े हैं, गरीब हैं .

ये सब कुछ इसलिए है कि हम एक ऐसे समाज में जी रहे हैं जहां ग़रीबी और अमीरी में गहरी खाई है . इसी खाई को पाटने के लिए पटना में कई बड़े आंदोलन हुए. राजनीतिक और सांस्कृतिक आंदोलन की जमीन रही है पटना . मुझे याद है 1974 के आंदोलन ने किस तरह पूरे देश को प्रभावित किया . मेरी उम्र 9-10  साल रही होगी . मेरे पिता मार्क्सवादी हैं . उनदिनों वामपंथी पार्टियां 74 के आंदोलन के विरोध में थी . जिसका खामियाजा वे आज तक भुगत रहे हैं . हमारा घर राजनीति बहसों के लिए सबसे मुफीद जगह थी . सभी वाद वहां जुटते और तीखी बहसें होती .



उस समय कुछ खास नहीं समझ आता पर मेरे भीतर राजनीति और कला की भूख शायद यहीं से पनपी . मेरे पिता को संगीत से गहरा लगाव है . उनदिनों पटना में  दशहरा पूजा की धूम थी .. भक्ति और कला का इतना गहरा मिश्रण शायद ही कहीं मिले . पटना की रात ठुमरी , दादरा , यमन समेत अनेक रागों से भरी रहती . भारतीय संगीत पर मौसम का गहरा असर है . राग के गायन के ऋतु निर्धारित है. जैसे भैरव राग का गहरा सबंध  शिशिर ऋतु से है हिंडोल का बसंत से . इन सारे रागों को सुनने के लिए उनदिनों पटना से बेहतर कोई जगह नहीं थी .दरअसल यहां दशहरा में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की लंबी परंपरा रही  है. इस परंपरा की शुरुआत वर्ष 1944 में मध्य पटना के गोविंद मित्रा रोड मुहल्ले से हुई थी.

बड़े संगीतज्ञों के साथ-साथ बड़े क़व्वाल और मुकेश या तलत महमूद जैसे गायक भी यहां से जुड़ते चले गये. मुझे याद है जब पहली बार पंडित जसराज को सुन रही थी .उनकी तान से चिराग की लौ भी थर्रा गयी. उन्होंने सर उठाकर रौशन आसमान को देखा  जिस पर बारहवीं शब का चांद जगमगा रहा था . चलो गोसाई चलें ....अब चांद निकल आया था . उनकी आवाज की मिठास में लोग झूमते रहे . अब बारी थी सितारा देवी की .  उन्होंने फिरकी के मानिंद चक्कर लगाना शुरू कर दिया . उनका जूडा खुल गया और लंबे बाल शानो पर बिखर गए . बिचली सी चमक थी , गजब का लोच था बदन में . वो लट्टू की तरह घूम रहीं थीं ..जैसे जिंदगी के मरघट पर काली नाचती हो ...सब दम साधे देख रहे थे.
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1950 से लेकर 1980 तक तो पटना संगीत की नगरी थी . डीवी पलुस्कर, ओंकार नाथ ठाकुर, भीमसेन जोशी, अली अकबर ख़ान, निखिल बनर्जी, विनायक राव पटवर्धन, पंडित जसराज, कुमार गंधर्व, बीजी जोग, अहमद जान थिरकवा, बिरजू महाराज, सितारा देवी, किशन महाराज, गुदई महाराज, बिस्मिल्ला ख़ान, हरिप्रसाद चौरसिया, शिवकुमार शर्मा ... बड़ी लंबी सूची है.  60 वर्ष पहले पटना के दशहरा और संगीत का जो संबंध सूत्र क़ायम हुआ था वह 80 के दशक में आकर टूट-बिखर गया. मैं याद  कर रही किस तरह संगीत में पूरा शहर डूबा रहता था . मध्यम मगरीबी मौसीकी  की आवाज आ रही है .  अब्र आलूद रात के अंधेरे में जुगनू चमक रहे हैं . मैं सुन रही हूं ...रात अँधेरी है , बादल गहरे तुम ऐसी रात में आओ ना ...

किस तरह बदल रहा है पटना शहर- साहित्यकार निवेदिता की कलम से

कभी पूरे भारतवर्ष की राजधानी रहा पाटलिपुत्र या अपना पटना आज काफी बदल गया है. यहां का मौसम, लोग और रहन-सहन पर भी इसका प्रभाव पड़ा है. पटना की मशहूर साहित्यकार और महिला अधिकारों के लिए कार्य करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता निवेदिता ने पटना के बदलते स्वरूप और उससे जुड़े अपने मनोभाव को बहुत ही खूबसूरती से शब्दों में व्यक्त किया है.  किस तरह बदल रहा है पटना शहर-
मेरे जीवन का लंबा समय पटना में ही बीता है . और लगता है जीवन के आखरी दिन भी यहीं बीत जायेंगे .पापा नौकरी में थे तो हमसब उनके साथ वहां-वहां होते जहां-जहां उनका तबादला होता .फिर एक अरसे से वे यही रहने लगे .मैंने अपने देश को देखा ,जाना है . दुनिया के कुछ हिस्से भी घूम आयी हूं . पर जो बात अपने शहर में है वो बात और कहां .दरअसल कोई देश , गांव या शहर वहां के लोगों की वजह से अच्छा लगता है. वे लोग जो आपसे जुड़े हों, जिस शहर को आपसे मुहब्बत हो , आपके सुख , दुख का हिस्सेदार हो . वह शहर चाहे कितना भी बेरंग हो उसकी मिट्टी , उसकी हवा और पानी में आप खुद को पातें हैं , आप उसकी हरारत महसूस कर सकते हैं . यूं देखिये तो हमारा शहर निहायत साधारण है ..सड़कें बहुत चौड़ी नहीं हैं . बेतरतीब दुकानें , गाड़ियां , रिक्शा , ठेला और गायें सड़कों पर ही रहती है . आप सड़क पर चलना चाहें तो आप चल नहीं सकते . हार्न और गाड़ियों के शोर से मन घबरा जाये .क्या आप एक ऐसे शहर की कल्पना कर सकतें हैं जिसमें बाग़ न हों , पेड़ पौधें न हों ,पत्तियों की सरसराहट और चिड़ियों की चहचाहट सुन न पायें. यहां मौसम का फर्क सिर्फ आसमान में नज़र आता है या फिर मंदिर में बिकने वाली फूलों की टोकरियों से. गर्मियों के मौसम में सूरज मकानों को सूखा देता है और दीवारें गर्द से भर जाती है .

पतझड़ के दिनों में हमारा शहर दलदल में तब्दील हो जाता है . फिर भी ये शहर प्यारा है मुझे . मेरी धड़कनों में बसा है . 40 साल गुज़र गए इस शहर में रहते हुए . इन 40 सालो में शहर भी बदल गया और उसकी रफ़्तार और चाल भी . इसका मिज़ाज भी बदला और तहजीब भी . पटना गंगा के दक्षिणी तट पर स्थित है. गंगा नदी नगर के साथ एक लंबी तट रेखा बनाती है. जिसके तीनों ओर नदियों का घेरा है . गंगा, सोन नदी और पुनपुन उसके पहलू में है . कभी वक़्त था जब सड़क किनारे पलाश के लाल-लाल फूलों वाले घने दरख्त और नारियल के झुंड और गंगा की लहरें जगमगाती रहती थी .

शहर के बीचों-बीच एक काफी हॉउस था . जिसमें राजनीति , कला और पत्रकारिता के तमाम किस्से लहराया करते थे . पटना कालेज गंगा के किनारे बसा है . उनदिनों गंगा कालेज के सीने से लगी-लगी बहती थी . काली घाट आज भी मशहूर है . पहले इतनी भीड़ नहीं थी . कालेज के बाद हमसब घाट के सिम्त जाने के लिए सीढ़ियों से उतरते और वही मजमा लगाते.दूर दूर तक नारियल के झुंड हवा में सरसराते .झिलमिलाते पानी के रंग सुर्ख सूरज सा हद्दे नज़र तक फैलती चली जाती . कहते हैं पहले पटना का नाम पाटलिग्राम या पाटलिपुत्र) था .पाटलिग्राम में गुलाब (पाटली का फूल) काफी मात्रा में उपजाया जाता था. गुलाब के फूल से तरह-तरह के इत्र, दवा बनाकर उनका व्यापार किया जाता था इसलिए इसका नाम पाटलिग्राम हो गया.

लोककथाओं में, राजा पत्रक को पटना का जनक कहा जाता है. उसने अपनी रानी पाटलि के लिए जादू से इस नगर का निर्माण किया. इसी कारण नगर का नाम पाटलिग्राम पड़ा. पाटलिपुत्र नाम पतली ग्राम से ही पड़ा . कहते हैं पटना नाम पटनदेवी (एक हिन्दू देवी) से प्रचलित हुआ है. एक अन्य मत के अनुसार यह नाम संस्कृत के पतन से आया है जिसका अर्थ बंदरगाह होता है. मौर्यकाल के यूनानी इतिहासकार मेगास्थनीज ने इस शहर को पालिबोथरा तथा चीनीयात्री फाहियान ने पालिनफू के नाम से संबोधित किया है. यह ऐतिहासिक नगर पिछली दो सहस्त्राब्दियों में कई नाम पा चुका है - ऐसा समझा जाता है कि पटना नाम शेरशाह सूरी के समय से प्रचलित हुआ. किस्से हज़ार हैं पर हमलोगों ने जो पटना देखा वो आंदोलन और कला की जमीन रही है . पटना कालेज के सामने पीपुल्स बुक हॉउस हुआ करता था . जो इश्क और क्रांति का गवाह रहा वर्षो तक . वही मैं नागार्जुन से मिली . वही आलोक धन्वा, अरूण कमल समेत सभी साहित्य से जुड़े लोगों का जमावड़ा रहता . वही अरुण जी की कविता अपनी केवल धार पढ़ा ... अपना क्या है इस जीवन में
सब तो लिया उधार
सारा लोहा उन लोगों का
अपनी केवल धार . वहीं आलोक धन्वा की कविता गोली दागो पोस्टर का पाठ किया ...
जिस ज़मीन पर
मैं अभी बैठकर लिख रहा हूँ
जिस ज़मीन पर मैं चलता हूँ
जिस ज़मीन को मैं जोतता हूँ
जिस ज़मीन में बीज बोता हूँ और
जिस ज़मीन से अन्न निकालकर मैं
गोदामों तक ढोता हूँ
उस ज़मीन के लिए गोली दागने का अधिकार
मुझे है या उन दोग़ले ज़मींदारों को जो पूरे देश को
सूदख़ोर का कुत्ता बना देना चाहते हैं.

पटना ने जिन्दगी के कई रंग दिए . पटना ने जीना सिखाया और लड़ना . कितनी हसींन तर्ज –तामीर है यह . आप पटना के पुराने मकानों को देखें . सूर्ख फूलदार पर्दों वाले कमरों में जिसके बाहर पहाड़ी गुलाब खिले थे और दूर आबशारों की आवाज आती थी वही पटना हमारा पटना है आपको यकीं नहीं है तो जरा तारीख की नज़रों से देख लें.

नीतीश कुमार के सपनो को साकार करने में अपनी योग्यता का पूर्ण योगदान करें -आनन्द कुमार रजक महादलित प्रकोष्ठ जद(यू0)


आदर्शो एवं ज्ञान की भूमि कहि जाने वाले इस बिहार की धरती को मै अपने युवाओं से आग्रह करूँगा की
माननीय मुख्यमंत्री बिहार नीतीश कुमार के सपनो को साकार करने में अपनी योग्यता का पूर्ण योगदान
करें। जिस परिकल्पना को सजाने के लिए माननीय मुख्यमंत्री बिहार श्री नीतीश कुमार सोच बना कार्य कर रहे है उसे अपने बिहार के लिए ज्ञान की भूमि एवं आदर्शो की पुनः स्थापना हो पाएगी। ज़िन्दगी अमरता लेकर नही आई है। उसकी इतिहास उसके कार्य तय करता है। जिस प्रकार माननीय नीतीश कुमार शिक्षा को बढ़ावा दे लड़के लड़कियों में भेद को दुर कर रहें है,

 ठीक उसी प्रकार पूर्व के इस शिक्षा के विश्व गुरु धरती को ज्ञान की भूमि बनाना चाहते है। हम जागे तो जग जागा को चरितार्थ करने के लिए युवा वर्ग पीढ़ी ही अहम भूमिका निभा सकता है। माननीय के हर कदम के चाल में एक नई सोच को जन्म देता है जो हमारे पीढ़ी को उत्कर्ष में प्रेरणा देती है।
मानव जीवन में समरसता लाया जाय और अपने शिक्षा को वैसे रूढ़िवादियों में न रखा जिससे समाज
को हित न हो। निश्चित तौर पर अपने बिहार को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता। आउटसोर्सिंग में आरक्षण भी अपने बिहार को अपनत्व में सहभागिता कि भूमिका अदा करेगी। बिरोध जताना नीतियों में कुठाराघात होगी, जो माननीय के सोच की परिकल्पना पूरी नही कर पायेगी।

रविवार, 12 नवंबर 2017

बिहार की पंचायतें भी अब हाइटेक होगीं

बिहार की पंचायतें भी अब हाइटेक होगीं. इसके लिए केंद्र सरकार ने डिजिटल इंडिया के तहत बिहार के पंचायतों को इंटरनेट से जोड़ने का प्रयास शुरू कर दिया है. इसे लेकर दिल्ली में  बैठक में शामिल होने के लिए बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी नयी दिल्ली पहुंच  हैं.  सुशील ने बताया कि बैठक में राज्य की पंचायतों में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत ऑप्टिकल फाइबर के जरिये इंटरनेट कनेक्टविटी प्रदान करने में आ रही कठिनाइयों को दूर करने व दूसरे चरण का काम प्रारंभ करने पर विचार-विमर्श होगा.

उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में बिहार के 38 जिलों के 354 प्रखंड अंतर्गत 6105 पंचायतों में भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क द्वारा इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान की जा रही है. दूसरे चरण में बाकी पंचायतों को कनेक्टिविटी दी जाएगी. सुशील ने कहा कि बिहार में जिन पंचायतों में ऑप्टिकल फाइबर बिछाया जा चुका है वहां उपकरणों की रखरखाव, बिजली की आपूर्ति एवं स्थापित उपकरणों की सुरक्षा बडी समस्या हैं. बैठक में इन सारे मुद्दों को रेखांकित किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत पंचायत स्तर पर आम नागरिकों को इंटरनेट के जरिये शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, पेंशन व प्रशासन की सेवा प्रदान की जानी है. इस साल के अंत तक देश में 17.5 करोड़ तथा 2020 तक 60 करोड़ लोगों को 2 मेगा बाइट प्रति सेकेंड स्पीड के साथ ब्रॉडबैंड कनेक्शन उपलब्ध कराना है.