बिहार के चाहे कांग्रेस के नेता हों या भाजपा के सबको एक जैसी शिकायत है। बिहार विधानसभा चुनाव में शुरू से लेकर नतीजे आने और सरकार बनाने के लिए चल रही कवायद के बीच दोनों पार्टियों के नेता एक जैसी शिकायत करते दिख रहे हैं। बिहार प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता और राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा है कि स्थानीय नेताओं को दरकिनार करके कांग्रेस बिहार में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकती है। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया परंतु उनका इशारा पार्टी के महासचिव रणदीप सुरजेवाला, शक्ति सिंह गोहिल, पवन खेड़ा, अविनाश पांडे, अजय कपूर आदि नेताओं की ओर था। इन नेताओं ने ही शुरू से बिहार में चुनाव की कमान संभाल रखी थी। एक समय तो ऐसा आया, जब अखिलेश सिंह के साथ साथ प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा और विधायक दल के नेता सदानंद सिंह को राज्य की चुनाव समिति से हटा दिया गया। सो, प्रदेश कांग्रेस के तमाम बड़े नेता नाराज हैं।
इसी तरह भाजपा के नेताओं को भी लग रहा है कि चुनाव में उनकी भूमिका कम कर दी गई और राष्ट्रीय नेताओं ने ही सब कुछ संभाले रखा। प्रचार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ आदि सक्रिय रहे तो उससे पहले रणनीति तय करने में प्रभारी महासचिव भूपेंद्र यादव और चुनाव प्रभारी देवेंद्र फड़नवीस की अहम भूमिका रही। यहां तक कि बिहार की जीत का जश्न मनाने के लिए दिल्ली में समारोह का आयोजन हुआ तो उसमें भी बिहार के सारे नेता नदारद थे। हालांकि बिहार के कई केंद्रीय मंत्री पार्टी कार्यालय में मौजूद थे पर किसी को मंच पर जगह नहीं मिली और इतना ही नहीं सामने बैठे लोगों की अगली कतार में भी बिहार के किसी नेता को जगह नहीं मिली। बिहार भाजपा के ही एक नेता ने कहा कि ऐसा लग रहा था, जैसे भाजपा अपने एक उपनिवेश में जीत का जश्न मना रही थी। उसने सवालिया लहजे में कहा कि क्या उत्तर प्रदेश की ऐसी जीत को भाजपा बिना राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ के सेलिब्रेट करती?

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