प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के विकास के लिए पांच साल का समय मांगा था। बीच में एक बार अमित शाह ने कह दिया था कि देश के विकास में 25 साल लगेंगे तो इस पर बड़ा विवाद हुआ था और बाद में सफाई वगैरह भी देनी पड़ी थी। पर अब खुद प्रधानमंत्री ने विकास का गोलपोस्ट आगे बढ़ा दिया है। अब उन्होंने कहा है कि भारत के विकास के लिए 2029 तक का समय बहुत अहम है। उन्होंने सांसदों के बहुमंजिला आवास योजना की वर्चुअल शुरुआत करते हुए अपने भाषण में भारत को युवा लोकतंत्र बताते हुए कहा कि भारत के विकास के लिए 2014 से 2029 का समय बहुत अहम है।
प्रधानमंत्री ने साथ ही यह भी कहा कि अभी तक के साढ़े छह साल में बहुत काम हुआ है पर अगला नौ साल बहुत अहम रहने वाला है। अब सोचें, कितनी चीजों के लिए कितना समय उन्होंने पहले कहा था कि उस समयावधि में क्या हुआ? प्रधानमंत्री के सारे टारगेट पहले 2022 के थे। उन्होंने बार बार कहा कि जब 2022 में देश की आजादी की 75वीं सालगिरह मनाई जाएगी तो देश में खुशहाली आ जाएगी। उन्होंने 2022 तक सबको पक्का मकान देने का ऐलान किया था। लेकिन अब दूर दूर तक इसके आसार नजर नहीं आ रहे हैं। ले-देकर 2022 तक नई संसद बन जाने की संभावना है, जिसकी योजना के चौतरफा विरोध के बावजूद सरकार ने रद्द नहीं किया और काम शुरू हो गया है।
पहली बार यानी 2014 में केंद्र में सत्ता में आने के बाद ही पांच साल में किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया था। साढ़े छह साल बाद देश के किसान अपनी बेसिक आमदनी बचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। सरकार ने तीन कृषि कानून बनाए, जिनके विरोध में देश भर का किसान आंदोलित है। इसी तरह एक दिन ऐलान किया गया कि भारत पांच साल में पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। लेकिन हकीकत यह है कि कोरोना संकट के बीच लगभग पूरी दुनिया में सबसे खराब प्रदर्शन भारत का रहा है। चालू साल की पहली तिमाही में जीडीपी में 24 फीसदी की गिरावट आई। इसी से उबरने में देश के काफी समय लगना है।
सरकार बनने के एक साल के भीतर विदेशों में रखा काला धन लाने का ऐलान किया गया था। लेकिन अब कहीं भी काले धन की चर्चा नहीं होती है। नोटबंदी से देश की अर्थव्यवस्था के डिजिटल और कैशलेस होने की पोल खुल चुकी है। आज देश में चार साल पहले के मुकाबले डेढ़ गुना से ज्यादा नकदी है और उसी अनुपात में जाली नोट भी बढ़ा है। जीएसटी का बुलबुल फूट चुका है और सरकार किसी तरह से जान बचाने में लगी है। देश में 2018 तक गंगा को स्वच्छ बनाने का ऐलान किया गया था, दो सौ स्मार्ट सिटी बनने वाले थे लेकिन न कहीं गंगा स्वच्छ हुई और न कोई स्मार्ट सिटी बनी है। सो, सारे डेडलाइन अब तक फेल हो गए हैं या आधे-अधूरे तरीके से पूरे हुए हैं और इस बीच अब नया गोलपोस्ट 2029 का आ गया है।

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