शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017

चारा व जमीन ने लालू परिवार को ऐसे कर दिया 'बर्बाद'

बिहार में बिना चुनाव के सत्ता परिवर्तन की राजनीतिक कलाबाजी का
रहा। नीतीश कुमार, लालू प्रसाद और कांग्रेस के हाथ मिलाने से जो महागठबंधन भाजपा की लहर को पछाड़ कर 8 नवंबर, 2015 को सत्ता में आया था।

वह 26 जुलाई, 2017  को लालू परिवार की बेनामी संपत्ति और भ्रष्टाचार का मुद्दा उजागर होने पर टूट गया। मात्र 20 महीने बाद भाजपा मुख्य विपक्षी दल की भूमिका छोड़कर नीतीश सरकार में शामिल हो गयी। अप्रैल, 2017 में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और लालू प्रसाद के छोटे पुत्र तेजस्वी प्रसाद यादव के निर्माणाधीन माल की मिट्टी 90 लाख रुपये में पटना जू को बेचकर घोटाला करने के आरोप ने तूल पकड़ा। उस समय विपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी ने मिट्टी- माल घोटाले के दस्तावेजी सबूत पेश कर महागठबंधन सरकार के सबसे बड़े घटक राजद पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाये।


उन्होंने घोटाले उजागर करने का सिलसिला जारी रखते हुए आरोप लगाया कि लालू प्रसाद ने रेल मंत्री की हैसियत से एक निजी कंपनी को रेलवे के दो होटल लीज पर देने के एवज में करोड़ों की जमीन अपने परिवार के नाम करवा ली।

माल- मिट्टी और रेलवे के होटल के बदले जमीन घोटाला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपेक्षा की कि लालू परिवार और विशेषकर मंत्रिमंडल में उनके नंबर दो के सहयोगी तेजस्वी यादव इस मुद्दे पर या तो बिंदुवार जवाब देकर आरोपों को निराधार साबित करें या राजद तेजस्वी की जगह किसी और को उपमुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तावित करे।

लगभग दो सप्ताह तक इंतजार के बावजूद न तेजस्वी यादव ने कोई संतोषजनक जवाब दिया और न अपने पद से इस्तीफा दिया। अंततः 26 जुलाई की शाम सीएम ने खुद ही इस्तीफा सौंप दिया। इसके तुरंत बाद भाजपा ने उन्हें बिना शर्त समर्थन देने और सरकार में शामिल होने की घोषणा कर दी और किंग मेकर लालू प्रसाद की पार्टी राजद सत्ता से बाहर हो गयी।


इस बीच सीबीआई की विशेष अदालत (रांची) ने लालू प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाले के एक और मामले में नियमित सुनवाई शुरू कर दी और 23 दिसम्बर को लालू प्रसाद को दोषी करार दिया। 21 साल पुराने इस मामले में राजद प्रमुख को सातवीं बार जेल जाना पड़ा।

राजद का सत्ता से बाहर होना, लालू परिवार के छह सदस्यों के विरुद्ध विभिन्न केंद्रीय जांच एजेंसियों की कारवाई, सांसद पुत्री मीसा भारती के दिल्ली स्थित फार्म हाउस समेत कई संपतियों का जब्त होना और लालू प्रसाद की गिरफ्तारी के साथ बिहार में सबसे बड़ा जनाधार रखने वाली पार्टी मुश्किल में आ गयी है। परेशानियों से घिरे लालू प्रसाद ने पूजा- पाठ और तंत्र- मंत्र भी आजमाए, लेकिन उनकी मुसीबतों का अंत नहीं कर पाया।

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