जयपुर। भारतीय जनता पार्टी ने चुनावी माहौल में राज्य सरकार और कांग्रेस पर ब्लैक पेपर के जरिये निशाना साधा है। बीजेपी ने इस बार ब्लैक पेपर में 24 मुद्दे शामिल किए हैं लेकिन उनमें से अधिकांश मुद्दे वहीं हैं, जो पहले शहरी निकाय के चुनाव में भी उठाये जा चुके हैं।
केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल , बीजेपी की राष्ट्रीय मंत्री अल्का गुर्जर , प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच, मीडिया प्रभारी विमल कटिया और सह-प्रभारी नीरज जैन की मौजूदगी में जारी किए गए काले चिट्ठे में ग्रामीण विकास से जुड़े कुछ मुद्दे ज़रूर नये कहे जा सकते हैं जबकि लॉ एंड ऑर्डर, किसानों की कर्ज माफी और बेरोजगारी भत्ते के साथ ही कोरोना काल में सरकार के प्रबंधन और बिजली के मुद्दों पर बीजेपी ने पहले की तरह ही बिना किसी नयेपन के अपनी बात रखी है।
खास बात यह भी है कि बीजेपी की तरफ़ से जारी यह 'काला-चिट्ठा' पार्टी की चुनाव प्रचार सामग्री का हिस्सा तो होगा लेकिन बीजेपी ने इस पर मुद्रक और प्रकाशक का नाम नहीं लिखवाया है। बीजेपी की तरफ़ से जारी 'कांग्रेस के काले चिट्ठे' में 24 बिन्दुओं को शामिल किया गया है।
1: कांग्रेस सरकार ने प्रदेश की पंचायती राज संस्थाओं की पंचम राज्य वित्त आयोग की वित्तीय वर्ष 2019-20 की प्रथम किश्त की बकाया 1085 करोड़ रुपये और द्वित्तीय किश्त की संपूर्ण राशि 1480 करोड़ रुपये यानि कुल राशि 2565 करोड़ रुपये आवंटित नहीं की है।
2: वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य सरकार द्वारा पंचायती राज संस्थाओं की 4000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित नहीं की गई है।
3: राज्य सरकार के द्वारा पंचायती राज्य संस्थाओं एवं स्वायत्तशासी संस्थाओं को राशि आवंटन की सिफारिश हेतु छठे राज्य वित्त आयोग का गठन भी नहीं किया गया है, जिससे भविष्य में भी पंचायतीराज संस्थाओं को राज्य सरकार से फंड आवंटन की सारी संभावनाएं धूमिल हो गई हैं। पिछले 25 वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है।
4: खास बात यह है कि 800 करोड़ का FTO order तो पिछले तीन महीने से वित्त विभाग ने रोक लिया है।
5: प्रधानमंत्री आवास योजना में राज्य सरकार खुद के हिस्से की (40%) राशि 1400 करोड़ रूपये जारी नहीं कर रही है, जिससे प्रदेश के 2 लाख 60 हज़ार गरीब परिवार बेघर हेकर दर-दर भटक रहे हैं।
6: पंचायत राज संस्थाओं के 1.50 लाख जनप्रतिनिधियों (सरपंच एवं वार्ड पंच) तथा 47 हजार मानदेय कर्मियों (पंचायत सहायक, सुरक्षा गार्ड, पम्प चालकों) की मानदेय की राशि जारी नहीं करने से इनकी इस बार काली दिवाली मनी।
7: राज्य में गहलोत सरकार द्वारा अपनी हठधर्मिता और आर्थिक कुप्रबंधन के चलते कर्मचारियों की वेतन कटौती करना, मार्च माह में 16 दिन का वेतन रोकना, माह जुलाई 2019, जनवरी एवं जुलाई 2020 की महंगाई भत्ते की तीन किश्त जारी नहीं की गई। उपार्जित अवकाश समर्पित करने के बाद दी जाने वाली राशि भी नहीं दी जा रही। सरकार का यह निर्णय असंवेदनशील और अमानवीय है, जिससे प्रदेश के कार्मिकों में जबरदस्त असंतोष है।
8: यह अकर्मण्य, भ्रष्ट, निकम्मी राजस्थान की कांग्रेस सरकार है जिसने 59 लाख किसानों का 10 दिन में 99 हजार 995 करोड़ रुपये का ऋण माफ करने का वादा किया था लेकिन हकीकत में 18 लाख किसानों का 5 हजार 600 करोड़ रुपये का ही ऋण माफ हुआ, जो ऊंट के मुंह में जीरे के समान है।
9: शेड्यूल बैंक, वाणिज्य बैंक, नोटिफाइड बैंक से फसली ऋण लेने वाले लगभग 22 लाख किसानों के 2 लाख रुपये तक का कर्ज माफ करने का वादा करने वाली इस सरकार ने मंत्रिमंडलीय समिति बनाकर चुप्पी साथ ली है। यह कर्ज माफी योजना से वंचित अन्नदाता किसानों के साथ धोखा है।
10: किसानों के सशक्तिकरण हेतु अकाल राहत कोष बनाने की इस सरकार की घोषणा तो झूठी साबित हुई और राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से मिलने वाली राशि का भी इस सरकार द्वारा भुगतान नहीं किया गया।
11: सत्ता में आने से पूर्व जनता को भ्रमित करने के लिये अपने घोषणा पत्र में कांग्रेस ने किसानों को कृषि कार्य हेतु आसान दर पर गुणवत्तापूर्ण बिजली उपलब्ध कराने का वादा किया था जो कहीं नजर नहीं आ रहा है। जनहित नही बल्कि निजिहित को वरीयता देने वाली इस कांग्रेस सरकार द्वारा पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा 10 हॉर्स पावर तक के पम्प पर 833 रुपये प्रति माह दिये जाने वाले अनुदान को भी बंद कर दिया गया तथा 1 लाख कृषि कनेक्शन जारी करने का अपने घोषणा पत्र में वादा करने वाली इस सरकार के द्वारा मात्र 18 हजार कृषि कनेक्शन ही जारी किये गये जो किसान हितैषी बनने वाली इस सरकार की कार्यशैली पर सवालिया निशान है।
12: राज्य सरकार द्वारा राज्य के किसानों की फसलों को जानवरों और रोजड़ों से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए कार्ययोजना बनाने का वादा भी अभी तक प्रभावी नीति बनाने की राह देख रहा है।
13: जनघोषणा पत्र में राज्य के वृद्ध किसानों को पेंशन देने की घोषणा पूर्णतया कपोल-कल्पित साबित हुई।
14: राज्य सरकार ने प्रत्येक ग्राम पंचायत समिति तथा जिला परिषद को अधिकाधिक अधिकार देने का अपने जनघोषणा पत्र में झूठा वादा किया. पहली बार केन्द्रीय वित्त आयोग के 1 हजार 840 करोड़ और राज्य वित्त आयोग के 1 हजार 88 करोड़ तथा महानरेगा योजना में मजदूरी भुगतान व सामग्री हेतु केन्द्र सरकार से प्राप्त 1 हजार 200 करोड़ रुपये पंचायतराज संस्थाओं को हस्तांतरित नहीं करके अपने पी.डी. खाते में हस्तांतरित कर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के ग्रामस्वराज की परिकल्पना का सरकार ने अपमान किया है।
15: पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना जिसकी प्रशंसा पूरे देश और देश के बाहर सार्क देशों के सम्मेलन में भी की गई जिसके अंतर्गत 3 लाख 36 हजार जल संरक्षण ढांचे तैयार किये गये थे। इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन से 5 मीटर तक भूजल स्तर ऊंचा हुआ था लेकिन योजना को बंद करने से जलसंरक्षण आंदोलन को धक्का पहुंचाया।
16: राज्य सरकार ने अपने जनघोषणा पत्र में वादा किया था कि अनुचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग व विशेष पिछड़ा वर्ग के रिक्त पदों के बैकलॉग शीघ्र भरे जायेंगे, जिस पर सरकार खरा नहीं उतर सकी और न ही इस ओर कोई कारगर कदम उठाया गया।
17: डीएमएफटी की रॉयल्टी के पैसे से पूर्व में विकास के कार्य करवाये जाते थे, जिसमें सभी जिला प्रमुख की अध्यक्षता में सभी विधायक सदस्य होते थे, किन्तु कांग्रेस सरकार ने जिला प्रमुख के स्थान पर इसका अध्यक्ष जिला कलेक्टर को बना कर नौकरशाही को बढ़ावा देकर जनकल्याण में लगने वाली राशि को रोकने का कार्य किया।
18: इस सरकार के राज में राजस्थान की महिलायें और बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। महिलाओं के विरुद्ध दुष्कर्म से संबंधित अपराधों में पूरे देश में राजस्थान प्रथम स्थान पर है। जिससे प्रदेश की गरिमा गिरी है और प्रदेश में महिलाएं व बालिकाएं अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रही हैं। बच्चों के प्रति अपराधों में भी 43 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
19: बिजली के बिलों का भारी भरकम भुगतान करना राज्य की जनता के लिए चुनौती बना है। यही कांग्रेस पार्टी चुनाव के समय अपने चुनावी घोषणा पत्र में यह कहते हुए सरकार में आई कि यदि कांग्रेस की सरकार बनी तो बिजली की दरों में वृद्धि नही करेंगे, परन्तु जैसी कांग्रेस की रीति-नीति रही है, कि शासन में आते ही न केवल दरों में वृद्धि की बल्कि स्थाई हुल्क (फिक्स चार्ज) भी बढ़ा दिए गए। यही नहीं, कांग्रेस की सरकार किसानों की विरोधी बनती है। इस सरकार ने गरीब किसान (अन्नदाता) को भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा दी गई 833 रुपये प्रतिमाह बिजली के बिल में छूट को बंद कर गरीब किसान पर बिजली का अतिरिक्त भार डाल दिया। यहां तक की कोरोना काल में भी आमजन को राहत नहीं दी।
20: राजस्थान के 27 लाख बेरोजगार युवाओं को आज भी बेरोजगारी भत्ते का इंतजार है लेकिन इस सरकार की नजर में वोट प्राप्त करने के बाद युवा अब नजरअंदाज है।
21: गरीब को भूल चुकी इस सरकार ने भामाशाह योजना को बंद कर आमजन के साथ खिलवाड़ किया है। भामाशाह स्वास्थ्य योजना जो कि पूर्ववर्ती भाजपा शासनकाल में शुरू की गई, जिसके अंतर्गत प्रत्येक गरीब व्यक्ति 3 लाख रुपये तक इलाज, चाहे वो सरकारी हॉस्पिटल हो या निजी हॉस्पिटल में बिल्कुल मुफ्त करा सकता था, जिसका लाखों गरीबों को फायदा हुआ, उस गरीब की योजना को बंद कर गरीब को इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर कर दिया। यहां तक की नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा 5 लाख रूपये तक मुक्त इलाज वाली "आयुष्मान" योजना को भी राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने लागू नहीं किया।
22: खुद काम नहीं कर पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा किये गये कामों पर नये पत्थर लगा कर थोथी वाहवाही लूटने का काम कर रही प्रदेश सरकार राजस्थान में पिछले दो वर्षों से कोई नया कार्य शुरू करने की जगह केवल भाजपा की सरकार द्वारा किये गये कार्यों का लोकापर्ण कर उनके शिलान्यास पट्टों पर अपना नाम लिखवाकर अपनी झूठी वाहवाही करवा रही है।
23: सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के अंतर्गत भाजपा सरकार के समय सभी बैंक खाते खोलकर प्रत्येक माह एक निश्चित तारीख को वृद्धावस्था, विधवा और दिव्यांग पेंशन वितरण की व्यवस्था की. जबकि कांग्रेस सरकार आने के बाद नये पेंशन आवेदन पत्रों को सत्यापन के अभाव में लम्बित कर वृद्ध, विधवा दिव्यांगों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
24: कोरोना काल में वैश्विक महामारी से जहां एक और देश संघर्ष कर रहा है, वहीं राज्य सरकार ने अव्यवस्थाओं का ऐसा आलम बना रखा है कि राशन से लेकर अन्य सुविधाओं में न केवल भेदभाव किया, बल्कि गरीबों को भी समुदाय के आधार पर बांटने का शर्मनाक कार्य किया और सरकार के प्रतिनिधि होटलों में बैठकर आपसी मतभेदों तक सीमित रहे।