मंगलवार, 1 दिसंबर 2020

सरकार मजबूत है या विपक्ष?


 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शिकायत है कि विपक्षी पार्टियां किसानों को गुमराह कर रही हैं। प्रधानमंत्री यह शिकायत पहले भी कर चुके हैं। सवाल है कि जब सारी बातें वे देश के लोगों को समझा लेते हैं और देश के लोग उनकी बात मान भी लेते हैं। जिनको वे नहीं समझा पाते हैं, उनको पार्टी का आईटी सेल समझा देता है। उनकी पार्टी और आईटी सेल ने तो देश के लोगों को ऐसी ऐसी चीजें समझा रखी हैं, जिनका कोई बेसिक आधार नहीं है। कोई सिर-पैर नहीं है। फिर भी लोग उन बातों पर यकीन करते हैं। फिर हैरानी की बात है कि कृषि कानूनों के मामले में सरकार, प्रधानमंत्री और आईटी सेल मिल कर किसानों को क्यों नहीं समझा पा रहे हैं? और उससे भी अहम है कि विपक्ष के पास इतनी ताकत अचानक कहां से आ गई कि वह इतनी आसानी से किसानों को गुमराह कर ले रहा है?


असल में यह समझाने या गुमराह करने का मामला ही नहीं है। यह असली मुद्दा है और किसान को इसको समझ रहे हैं। इसलिए सरकार उनको नहीं समझा पा रही है। पहले भी नरेंद्र मोदी सरकार को किसानों के मामले में ही पीछे हटना पड़ा था, जब उनकी सरकार ने यूपीए के बनाए भूमि अधिग्रहग कानून को बदलने का प्रयास किया था। तब भी यहीं कहा गया था कि विपक्ष किसानों को गुमराह कर रहा है। हालांकि तब भी किसान अपना हित समझ रहे थे और अब भी समझ रहे हैं। वे सरकार से पूछ रहे हैं कि किसानों का भला करने के लिए तीन कृषि कानून बनाने की मांग सरकार से किसने की थी, किस किसान संगठन ने इसके लिए सरकार से कहा था और किसके साथ बात करके सरकार ने यह कानून बनाया। सरकार के पास इसका जवाब नहीं है। सरकार को असल में 30 लाख करोड़ रुपए से ऊपर के खाने-पीने के चीजों के बाजार को निजी उद्यमियों के हाथ में सौंपना है, जिन्होंने पहले से इसकी तैयारी कर रखी है। इसलिए वह बैकफुट पर है और विपक्ष व किसान संगठन आक्रामक हैं।


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